I2U2 के पहले शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी; भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई ने बनाया आई2यू2 अलायंस

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Shivasheesh Tiwari
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I2U2 के पहले शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी; भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई ने बनाया आई2यू2 अलायंस

DELHI. भारत, इस्राइल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अमेरिका के नए ताकतवर समूह आई2 यू2 का पहला शिखर सम्मेलन 14 जुलाई को होगा। यह सम्मेलन ऑनलाइन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी के अलावा, इस शिखर सम्मेलन (Summit) में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden), इस्राइली पीएम नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान वर्चुअली शामिल होंगे। 'आई2यू2’ में आई का मतलब इंडिया और इस्राइल से है। वहीं यू का मतलब यूएई व यूएस (अमेरिका) से है। 



I2U2 का महत्व अचानक बढ़ कैसे गया



अक्टूबर 2021 में जब भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई के विदेश मंत्रियों ने पहली बार बैठक की थी, तब इसे इंटरनेशनल फोरम फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन का नाम दिया गया था। लेकिन समय के साथ बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद इस गठबंधन की अहमियत काफी ज्यादा बढ़ गई है। यही कारण है कि इस बार की बैठक में इन चारों देशों के शीर्ष राजनेता हिस्सा लेने वाले हैं।



कब हुई थी पहली बैठक



अमेरिका के अनुसार, आई2यू2 से तात्पर्य 'इंटरेक्शन इन अंडरस्टैंडिंग द यूनिवर्स' है। अक्टूबर 2021 में भी I2U2 में शामिल इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों की इजरायल में एक बैठक हुई थी, जिसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) शामिल हुए थे। इस बैठक के लगभग एक साल बाद राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर होने जा रही पहली समिट काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस बैठक में रूस यूक्रेन युद्ध के अलावा तेल और गैस के बढ़ते दाम और आपसी सहयोग को मजबूत करने को लेकर चारों देशों के बीच चर्चा हो सकती है।



I2U2 में क्या होगा? 



I2U2 के गठन के समय, अमेरिकी अधिकारी ने बताया था कि 'हमारे कुछ साझीदार मध्य-पूर्व से परे भी हैं। इस साझीदारी को हम आगे बढ़ाएंगे। राष्ट्रपति बाइडन I2U2 देशों के प्रमुखों के साथ वर्चुअल सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान खाद्य सुरक्षा संकट और सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर बात करेंगे। दरअसल, भारत बेहद बड़ा बाजार है। वह हाईटेक और सबसे ज्यादा मांग वाले उत्पादों का भी बड़ा उत्पादक है। ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं, जहां ये देश मिलकर काम कर सकते हैं। फिर वह तकनीक, कारोबार, पर्यावरण, कोविड-19 और सुरक्षा ही क्यों न हो।

 


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