COLOMBO: श्रीलंका के राष्ट्रपति का पता नहीं, सड़कों पर आज भी डटे प्रदर्शनकारी; दो और मंत्रियों का इस्तीफा

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Atul Tiwari
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COLOMBO:  श्रीलंका के राष्ट्रपति का पता नहीं, सड़कों पर आज भी डटे प्रदर्शनकारी; दो और मंत्रियों का इस्तीफा

COLOMBO. श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। सभी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में ले लिया है। इन सभी का कहना है कि बदलाव के जिस वक्त का हम इंतजार कर रहे थे, वो आ गया है। वहीं इन सब के बीच राष्ट्रपति ने 13 जुलाई को इस्तीफा देने का एलान कर दिया है। इतना ही नहीं बढ़ती हिंसा को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने पहले ही इस्तीफा दे दिया। 

राष्ट्रपति का पता नहीं, प्रदर्शनकारियों ने शुरू की तलाश

प्रदर्शनकारियों के डर से राष्ट्रपति गोतबाया कल रात आर्मी हेडक्वार्टर में छिप गए थे लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह उन्होंने वहां से भी अपना ठिकाना बदल लिया है। फिलहाल उनका पता नहीं चल रहा है आखिर वे छिपे कहां हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति को हर जगह खोज रहे हैं।



 दो मंत्रियों ने दिया इस्तीफा



हिंसक प्रदर्शन के बीच श्रीलंका सरकार के दो मंत्रियों हरिन फर्नांडो और मानुषा ननायाक्करा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दूसरी ओर श्रीलंका के सेना प्रमुख जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने रविवार को कहा कि मौजूदा राजनीतिक संकट को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए। उन्होंने लोगों से मुद्दे को एकजुट होकर हल करने की मांग की है।



अमेरिका ने श्रीलंका के नेताओं से की ये अपील



अमेरिका ने श्रीलंका के नेताओं से आर्थिक स्थिरता हासिल करने के लिए जल्दी से कोई बड़ा कदम उठाने के लिए कहा है। विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी नई सरकार को उन समाधानों की पहचान करने और उन्हें लागू करने के लिए तेजी से काम करना चाहिए जो दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त करेंगे और श्रीलंका के लोगों के असंतोष को दूर करेंगे। 



प्रधानमंत्री के निजी आवास में लगाई आग



सात दशकों में देश के सबसे खराब आर्थिक संकट पर गुस्सा तेज होने के बीच शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया और कोलंबो में प्रधानमंत्री के निजी आवास में आग लगा दी।



बेलआउट पैकेज को लेकर आईएमएफ ने दिया भरोसा



अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि वह श्रीलंका की राजनीतिक उथल-पुथल के समाधान की उम्मीद कर रहा है जो विरोध के हिंसक होने के बाद बेलआउट पैकेज के लिए बातचीत फिर से शुरू करने की अनुमति देगा। आईएमएफ ने एक बयान में कहा हम मौजूदा स्थिति के समाधान की उम्मीद करते हैं जो आईएमएफ समर्थित कार्यक्रम पर हमारी बातचीत को फिर से शुरू करने की अनुमति देगा। 



श्रीलंका में राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। एक तरफ आर्थिक संकट झेल रहे लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमा लिया है। वहीं, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफा दे दिया है। विक्रमसिंघे ने 12 मई को ही पद संभाला था। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में घुसकर आग लगा दी है। 



विक्रमसिंघे ने ट्वीट किया- सभी नागरिकों की सुरक्षा के साथ सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मैं आज पार्टी नेताओं की सर्वदलीय सरकार के लिए रास्ता बनाने की सबसे अच्छी सिफारिश को स्वीकार करता हूं। मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। विक्रमसिंघे ने मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने और तत्काल समाधान खोजने के लिए पार्टी नेताओं की भागीदारी के साथ एक आपात बैठक बुलाई थी। इस बीच रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बैठक में राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री दोनों को इस्तीफा देने को कहा गया है। स्पीकर को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव दिया गया है।




— Ranil Wickremesinghe (@RW_UNP) July 9, 2022



गोटबाया के देश छोड़ने के कयास



देश में जारी संकट की वजह से राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पर मार्च से ही इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है। वे अप्रैल में प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके ऑफिस के प्रवेश द्वार पर कब्जा करने के बाद से ही राष्ट्रपति आवास को अपने आवास और कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, 9 जुलाई के विरोध प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर गोटबाया को 8 जुलाई को ही उनके आवास से बाहर ले जाया गया था। राष्ट्रपति को कहां ले जाया गया है, इस बारे में पता नहीं चल सका है। हालांकि, अटकलें है कि राजपक्षे देश छोड़ चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के कार्यालय और आधिकारिक आवास दोनों पर कब्जा कर लिया है।




— ANI (@ANI) July 9, 2022



श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लंबे वक्त से 'Gota Go Gama' और 'Gota Go Home' आंदोलन जारी है। सिंहली भाषा में गामा का मतलब गांव होता है। प्रदर्शनकारी एक जगह जमा होकर तंबू लगाते हैं और गाड़ियों के हार्न बजाते हुए राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा का नारा बुलंद करते हैं।



100 से ज्यादा लोग जख्मी



कई प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति आवास के परिसर तक घुस आए थे। सोशल मीडिया पर आए कई वीडियोज में लोगों को राष्ट्रपति भवन के स्वीमिंग पूल में नहाते और घर के अंदर घूमते-फिरते देखा जा सकता है। हालांकि, सुरक्षाबल पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश करते रहे। प्रदर्शन के दौरान 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए।



श्रीलंका पिछले कई महीनों से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पूरे देश में खाने से लेकर ईंधन तक की कमी पैदा हो गई है। यहां तक कि घरों में बिजली तक सिर्फ कुछ ही घंटों के लिए आ रही है। श्रीलंका के लगातार घटते विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से वह मेडिकल से जुड़े जरूरी सामान तक इम्पोर्ट नहीं कर पा रहा है। पेट्रोल-डीजल के लिए कई किलोमीटर लंबी लाइनें हैं।



श्रीलंका को डुबाने वाला राजपक्षे परिवार 



अप्रैल तक श्रीलंका में सरकार में राजपक्षे परिवार के पांच लोग शामिल थे। इनमें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे, सिंचाई मंत्री चामल राजपक्षे और खेल मंत्री नामल राजपक्षे थे। इनमें से गोटबाया को छोड़कर बाकी सब इस्तीफा दे चुके हैं।



एक समय श्रीलंका के नेशनल बजट के 70% पर इन राजपक्षे भाइयों का सीधा कंट्रोल था। राजपक्षे परिवार पर 5.31 अरब डॉलर यानी 42 हजार करोड़ रुपए अवैध तरीके से देश से बाहर ले जाने का आरोप है। इसमें महिंदा राजपक्षे के करीबी अजित निवार्ड कबराल ने अहम भूमिका निभाई थी, जो सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर थे।



1. महिंदा राजपक्षे



mahinda



76 साल के महिंदा, राजपक्षे समूह के चीफ और कुछ महीनों पहले तक प्रधानमंत्री थे। उन्होंने बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच 10 मई को इस्तीफा दे दिया था। वे 2004 में प्रधानमंत्री रहने के बाद 2005-2015 तक राष्ट्रपति रहे थे। इसी दौरान भाई गोटबाया राजपक्षे को तमिलों के आंदोलन को कुचलने का आदेश दिया था। महिंदा के शासनकाल में श्रीलंका और चीन की करीबी बढ़ी और उसने चीन से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए 7 अरब डॉलर का लोन लिया। खास बात ये रही कि ज्यादातर प्रोजेक्ट्स छलावा साबित हुए और उनके नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ। राजपक्षे परिवार में सबसे ताकतवर महिंदा राजपक्षे हैं, इसलिए उन्हें 'द चीफ' कहा जाता है। वह श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके हैं। राजपक्षे परिवार में सबसे ताकतवर महिंदा राजपक्षे हैं, इसलिए उन्हें 'द चीफ' कहा जाता है। वह श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके हैं।



2. गोटबाया राजपक्षे



gotabaya



पूर्व सैन्य अधिकारी रहे गोटबाया 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति बने। वह रक्षा मंत्रालय में सेक्रेटरी समेत कई अहम पद संभाल चुके हैं।

2005-2015 के दौरान बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान डिफेंस सेक्रेटरी रहते हुए तमिलों अलगाववादियों यानी LTTE को क्रूरता से कुचल दिया था। गोटबाया की टैक्स में कटौती से लेकर, खेती में केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल पर बैन जैसी नीतियों को वर्तमान संकट की वजह माना जा रहा है।



3. बासिल राजपक्षे



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71 साल के बासिल राजपक्षे फाइनेंस मिनिस्टर थे। श्रीलंका में सरकारी ठेकों में कथित कमीशन लेने की वजह से उन्हें ‘मिस्टर 10 पर्सेंट’ कहा जाता है। उन पर सरकारी खजाने में लाखों डॉलर की हेराफेरी के आरोप लगे थे, लेकिन गोटबाया के राष्ट्रपति बनते ही सभी केस खत्म कर दिए गए। बासिल राजपक्षे कुछ महीनों पहले तक श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर थे। करप्शन में बासिल इतने आगे थे कि रिश्वत लेने की वजह से उन्हें मिस्टर-10 पर्सेंट भी कहा जाता है। बासिल राजपक्षे कुछ महीनों पहले तक श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर थे। करप्शन में बासिल इतने आगे थे कि रिश्वत लेने की वजह से उन्हें मिस्टर-10 पर्सेंट भी कहा जाता है।



4. चामल राजपक्षे



chamal



79 साल के चामल अप्रैल महिंदा के बड़े भाई हैं और शिपिंग एंड एविएशन मिनिस्टर रह चुके हैं। अब तक वह सिंचाई विभाग संभाल रहे थे। चामल दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री सिरिमावो भंडारनायके के बॉडीगार्ड रह चुके हैं। राजपक्षे भाइयों में सबसे कम विवादित चामल ही रहे हैं। लेकिन, राजपक्षे परिवार के श्रीलंका को लूटने के खेल में वो भी शामिल रहे हैं। राजपक्षे भाइयों में सबसे कम विवादित चामल ही रहे हैं। लेकिन, राजपक्षे परिवार के श्रीलंका को लूटने के खेल में वो भी शामिल रहे हैं।



5. नामल राजपक्षे



namal



35 साल के नामल महिंदा राजपक्षे के बड़े बेटे हैं। 2010 में महज 24 साल की उम्र में वह सांसद बने थे। अब तक वह खेल और युवा मंत्रालय संभाल रहे थे। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं, जिससे नामल इनकार करते रहे हैं।


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