लाहौर के किले में स्थित महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja ranjeet singh) की मूर्ति को एक कट्टरपंथी शख्स ने तोड़ डाला है। सोशल मीडिया पर मूर्ति तोड़ने की वारदात वायरल हो गई है। बताया जा रहा है कि इस इस घटना को अंजाम देने वाला शख्स प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) से जुड़ा हुआ है। लाहौर (lahore) में महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति का अनावरण 2019 में किया गया था और तब से अब तक यह तीसरा हमला है।
भारत ने जताई आपत्ति
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने आज लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के तोड़फोड़ के बारे में मीडिया में परेशान करने वाली खबरें देखी हैं। 2019 में मूर्ति के अनावरण किए जाने के बाद से यह तीसरी ऐसी घटना है, जब मूर्ति को तोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की सांस्कृतिक विरासत पर इस तरह के हमले पाकिस्तानी समाज में बढ़ती असहिष्णुता और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति सम्मान की कमी को उजागर करते हैं।
पाक मंत्री बोले- अनपढ़ों का झुंड
पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि अनपढ़ों का यह झुंड दुनिया में पाकिस्तान की छवि के लिए वाकई खतरनाक है।
कौन थे महाराजा रणजीत सिंह
महाराजा रणजीत सिंह को शेर-ए-पंजाब भी कहा जाता है। वे पंजाब सूबे के राजा थे, जिनसे अंग्रेज भी डरते थे। उनका जन्म सन् 1780 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) संधावालिया महाराजा महा सिंह के घर हुआ था। उन दिनों पंजाब पर सिखों और अफगानों का राज चलता था जिन्होंने पूरे इलाके को कई मिसलों में बांट रखा था। रणजीत के पिता महा सिंह सुकरचकिया मिसल के कमांडर थे। जिसके बाद उन्होंने सिखों को एकजुट किया और खुद के राज्य की स्थापना की।