स्वीडन (Sweden) की राजनीति में एक झटके में बड़ा बदलाव हो गया है। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुने जाने के कुछ ही घंटों के बाद मेगदालेना एंडरसन (Magdalena Andersson) ने इस पद से अपना इस्तीफा दे दिया। एंडरसन ने 3 पार्टियों के साथ गंठबंधन कर सरकार बनाई थी। इनमें ग्रीन पार्टी और सेंटर पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया।
दो पार्टियों के समर्थन वापस लेने पर दिया इस्तीफा
एंडरसन ने लेफ्ट पार्टी और सेंटर पार्टी के गठबंधन से सरकार बनाई थी, लेकिन सेंटर पार्टी ने नई सरकार के फाइनेंशियल बजट का समर्थन करने से इनकार कर दिया। वहीं, ग्रीन पार्टी ने बजट खारिज होने के बाद, गठबंधन तोड़ दिया। इस पूरे प्रकरण के बाद एंडरसन के पास कोई विकल्प नहीं बचा और पद संभालने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
एंडरसन के दोबारा पीएम बनने की संभावना
एंडरसन को उम्मीद है कि सरकार में अकेली बची पार्टी होने के कारण उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। ग्रीन पार्टी ने कहा है कि वह संसद में अगले समर्थन वोट के लिए एंडरसन का साथ देगी। वहीं, सेंटर पार्टी ने वोटिंग में मौजूद न रहने का फैसला लिया है। सेंटर पार्टी के वॉकआउट करने से एंडरसन को फायदा ही होगा। लेफ्ट पार्टी पहले से ही एंडरसन के साथ है।
1 वोट के अंतर से हासिल की थी जीत
स्वीडन में प्रधानमंत्री बनने के लिए संसद में बहुमत की जरूरत नहीं होती, बशर्ते बहुमत के आंकड़े के बराबर सांसद किसी कैंडिडेट का विरोध न करे। संसद के 349 मेंबर्स में से 174 ने एंडरसन के खिलाफ वोट किया था। हालांकि 117 सांसदों ने उनका समर्थन किया था। 57 सांसदो ने वोटिंग मे हिस्सा नहीं लिया। वहीं, 1 सांसद अनुपस्थित थे।
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