काबुल. तालिबान (Taliban) की अंतरिम सरकार द्वारा थोपे जा रहे नए नियमों के तहत अफगानिस्तान (Afghanistan) में अब महिलाओं (Women) को टेलीविजन नाटकों (Television Dramas) में प्रदर्शित होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही महिला पत्रकारों (Female Journalists) और प्रस्तुतकर्ताओं को भी स्क्रीन पर हेडस्कार्फ पहनने का आदेश (Order) दिया गया है। हालांकि दिशा-निर्देश यह नहीं कहते हैं कि किस प्रकार के कवर का उपयोग करना है। इसी बात की आशंका वैश्विक बिरादरी जता रही थी कि तालिबान राज में महिलाओं और बच्चों के मानवाधिकारों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाएंगी। गौरतलब है कि अफगान टेलीविजन चैनल मुख्य महिला पात्रों के साथ ज्यादातर विदेशी नाटक दिखाते हैं।
ये नियम नहीं, निर्देश हैं
नैतिकता मंत्रालय के प्रवक्ता हकीफ मोहाजिर ने पत्रकारों को बताया, "ये कोई नियम नहीं बल्कि धार्मिक दिशा-निर्देश हैं।” इन नए दिशा-निर्देशों को रविवार को लोगों ने सोशल मीडिया पर जमकर साझा किया। अगस्त में देश की सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने बार-बार कहा था कि वे बदल गए हैं और उदारवादी तरीके से शासन करेंगे। लेकिन एक के बाद कई तरह के ऐसे नियम लागू किए जा रहे हैं, जिन्होंने महिला अधिकारों पर काम करने वालों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। कुछ समय पहले ही विश्वविद्यालयों में महिलाओं के पहनावे को लेकर नियम जारी किए गए थे। मीडिया की आजादी के वादे और दावे करने के बावजूद कई महिला पत्रकारों के साथ मार-पीट की खबरें भी आ चुकी है।
दो दशक में हुई तरक्की
टीवी चैनलों के लिए जारी नए दिशा निर्देश तब आए हैं, जबकि लगभग दो दशक तक लोकतांत्रिक सरकार के तहत कई तरह के कार्यक्रम बनते और प्रचलित होते रहे हैं। पश्चिम समर्थित सरकार के तहत अफगानिस्तान ने देश में खासी तरक्की की थी। दर्जनों नए चैनल स्थापित हुए और इस क्षेत्र में खासा निजी निवेश भी हुआ।
इन दो दशकों में अफगानिस्तानी टीवी चैनलों ने दर्शकों के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम बनाए जिनमें अमेरिकन आइडल से मिलता-जुलता टैलेंट शो भी शामिल है। इसके अलावा म्यूजिक वीडियो के लिए मुकाबले भी टीवी पर दिखते रहे। साथ ही भारत और तुर्की के बने टीवी शो भी दिखाए जाते रहे हैं।
पिछली बार अफगानिस्तान ने 1996 से 2001 के बीच देश पर शासन किया था। तब देश में कोई मीडिया चैनल नहीं थे। टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे। सिनेमा और अन्य किस्म के मनोरंजन को अनैतिक माना जाता था।
उस दौर में यदि कोई टीवी देखता पकड़ा जाता था तो उसे सजा दी जाती थी और उसका टीवी तोड़ दिया जाता था। वीडियो प्लेयर रखने वाले को सार्वजनिक तौर पर कोड़े मारने जैसी कठोर सजाएं भी दी जाती थीं। तब एकमात्र रेडियो स्टेशन होता था जिसका नाम था वॉइस ऑफ शरिया। उस रेडियो स्टेशन पर सरकारी और इस्लामिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे।
बुर्के में जिंदगी
अभी तक महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई महिलाएं कार्रवाई के डर से ऐसा करती हैं। इस तस्वीर में दो महिलाएं अपने बच्चों के साथ बाजार में पुराने कपड़े खरीद रही हैं। देश छोड़कर भागे हजारों लोग अपने पुराने कपड़े पीछे छोड़ गए हैं, जो अब ऐसे बाजारों में बिक रहे हैं।