LONDON. ब्रिटेन में सियासी उलटफेर हो रहा है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) जल्द ही संसद में कंजर्वेटिव पार्टी के लीडर पद से इस्तीफा देंगे। हालांकि, अक्टूबर में नया नेता चुने जाने तक वो कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते रहेंगे। जॉनसन इस्तीफे से पहले राष्ट्र के नाम संबोधन देंगे। इस इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह 30 जून को डिप्टी चीफ व्हिप की पोस्ट पर क्रिस पिंचर का अपॉइंटमेंट है। पिंचर सेक्स स्कैंडल में फंसे थे। इसके बाद ही ब्रिटिश कैबिनेट से इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया।
इससे पहले जॉनसन के 40 से ज्यादा मंत्री और संसदीय सचिव भी उनका साथ छोड़ चुके हैं। सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के सांसदों की बगावत के बाद 24 घंटे से भी कम समय में जॉनसन के मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से लगातार प्रधामंत्री बोरिस जॉनसन भी पद छोड़ने का दबाव बन रहा है।
फिलहाल पद पर बने रहेंगे
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद अक्टूबर में कंजर्वेटिव पार्टी की कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा। यानी साफ है कि अक्टूबर तक जॉनसन प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे। जॉनसन के खिलाफ उनकी अपनी ही कंजर्वेटिव पार्टी में बगावत हो गई थी। अब तक 41 मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। तब से उनके ऊपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था। विपक्षी लेबर पार्टी भी उनसे इस्तीफा मांग रही थी।
यहां से शुरू हुआ संकट
जॉनसन की कुर्सी पर संकट वित्त मंत्री ऋषि सुनक (Finance Minister Rishi Sunak) के इस्तीफे से शुरू हुआ था। उन्होंने 5 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके कुछ देर बाद ही स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने भी इस्तीफा दे दिया था। अब तक चार कैबिनेट मंत्री मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें ऋषि सुनक और साजिद जाविद के अलावा साइमन हार्ट और ब्रैंडन लुइस ने भी इस्तीफा दे दिया था।
इसलिए हुई बगावत
बोरिस जॉनसन के खिलाफ बगावत क्रिस पिंचर की नियुक्ति को लेकर हुई थी। इसी साल फरवरी में जॉनसन ने क्रिस पिंचर को कंजर्वेटिव पार्टी का डिप्टी चीफ व्हिप बनाया था। 30 जून को ब्रिटिश अखबार 'द सन' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि पिंचर ने लंदन के एक क्लब में दो युवकों को आपत्तिजनक तरीके से छुआ था। पिंचर पर पहले भी यौन दुराचार के आरोप लगते रहे हैं।
द सन की रिपोर्ट आने के बाद क्रिस पिंचर ने डिप्टी चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उनकी ही पार्टी के सांसदों का कहना था कि जॉनसन को उनके ऊपर लगे आरोपों की जानकारी थी, उसके बाद भी उन्हें नियुक्त किया। वहीं, 1 जुलाई को सरकार के प्रवक्ता ने कहा था कि प्रधानमंत्री जॉनसन को इन आरोपों की जानकारी नहीं थी, लेकिन 4 जुलाई को फिर सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि जॉनसन को पिंचर पर लगे आरोपों की जानकारी थी, लेकिन इसके लिए नियुक्ति ना करना सही नहीं समझा, क्योंकि आरोप अभी तक साबित नहीं हुए थे।
जॉनसन पर सीधे आरोप
सबसे पहले 5 जुलाई को ऋषि सुनक ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि लोगों को उम्मीद होती है कि सरकार ठीक तरह से काम करे। वहीं, साजिद जाविद ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि सरकार राष्ट्रहित में काम नहीं कर रही। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दो दिन में अब तक चार कैबिनेट मंत्री, 22 मंत्री, 22 संसद के निजी सचिव और 5 अन्य लोगों ने इस्तीफा दे दिया।
बोरिस जॉनसन की कुर्सी पर संकट पार्टीगेट सामने आने के बाद भी खड़ा हो गया था। हालांकि, वो इस संकट से बच निकले थे। उनके खिलाफ उनकी ही पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जिस पर 6 जून को वोटिंग हुई थी। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान बोरिस जॉनसन के पक्ष में 211 और विपक्ष में 168 वोट पड़े थे।
पार्टीगेट का मामला पिछले साल सामने आया था। तब ब्रिटिश मीडिया ने दावा किया था कि कोरोना के सख्त लॉकडाउन के बावजूद जॉनसन पार्टी कर कर रहे थे। मामला 2020 का था। तब 19 जून को अपने बर्थडे पर जॉनसन ने डाउनिंग स्ट्रीट पर पार्टी की थी। इस पार्टी में 30 लोग शामिल हुए थे, जबकि लॉकडाउन में सिर्फ दो लोगों को ही जाने की अनुमति थी। लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर जॉनसन पर जुर्माना भी लगा था। इसके लिए संसद में उन्होंने माफी भी मांगी थी।