न्यूयॉर्क. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का 76वां सेशन चल रहा है। इसमें 25 सितंबर तड़के इमरान खान (Imran Khan) का भाषण हुआ। हमेशा की तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री (Pakistan PM) की स्पीच कश्मीर (Kashmir) और अफगानिस्तान (Afghanistan) पर ही केंद्रित रही। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत ने कश्मीर पर जबरन कब्जा किया है। इस पर UN में भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी (First Secretary) स्नेहा दुबे ने कहा कि पूरा जम्मू-कश्मीर, लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) भी शामिल है। पाक को इन्हें तुरंत छोड़ देना चाहिए।
‘पाकिस्तान ने ये पहली बार नहीं किया’
स्नेहा ने पाकिस्तान के बयान पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान ने UN के मंच का गलत इस्तेमाल करते हुए ऐसा बयान दिया हो। पाकिस्तान में आतंकियों को आसानी से एंट्री मिल जाती है। अपने देश के गंभीर हालात से ध्यान भटकाने के लिए ये भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं।
स्नेहा ने ये भी कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के आंतरिक मामलों को दुनिया के मंच पर लाने और झूठ फैलाकर सम्मानित मंच (UNGA) की इमेज खराब करने की कोशिश की है। हमने राइट टू रिप्लाई (Right to Reply) के तहत उन्हें जवाब दिया है। लगातार झूठ बोलने की ऐसे मानसिकता वाले बयान सहानुभूति (Sympathy) और अवमानना के पात्र हैं।
पाक में आतंकी खुले घूमते हैं
स्नेहा के मुताबिक, पाकिस्तान में आतंकी खुलेआम घूमते हैं। ओसामा बिन लादेन को भी पाकिस्तान ने ही शरण दी थी। आज भी पाकिस्तान में लादेन को शहीद बताया जाता है और उसका महिमामंडन किया जाता है।
UN में इमरान का भाषण
इमरान खान ने कहा- अमेरिका में 9/11 हमले के बाद दुनियाभर के दक्षिणपंथियों (राइट विंग) ने मुसलमानों पर हमले शुरू कर दिए। भारत में इसका सबसे ज्यादा असर है। वहां RSS और बीजेपी मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं। मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। कश्मीर में एकतरफा कदम उठाकर भारत ने जबरन कब्जा किया है।
मीडिया और इंटरनेट पर पाबंदी है। डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर चेंज किया जा रहा है। मेजोरिटी (Majority) को माइनोरिटी (Minority) में बदला जा रहा है। ये दुर्भाग्य है कि दुनिया सिलेक्टिव रिएक्शन देती है। यह दोहरे मापदंड (Double Standards) हैं। सैयद अली शाह गिलानी (पूर्व अलगाववादी नेता) के परिजन के साथ अन्याय हुआ। मैं इस असेंबली से मांग करता हूं कि गिलानी के परिवार को उनका अंतिम संस्कार इस्लामी तरीके से करने की मंजूरी दी जाए।