KABUL. आतंकी संगठन अल-कायदा (Al-Qaeda) के नंबर 2 सरगना रहे अयमान अल जवाहिरी को अमेरिका ने एक अटैक में मार गिराया। 2 अगस्त को अलसुबह इसकी खबर आई। अमेरिकी अफसर के मुताबिक, जैसे ही जवाहिरी बालकनी में टहलने के लिए निकला, उस पर रीपर ड्रोन से दो R9X हेलफायर मिसाइलें दागी गईं। जवाहिरी, ओसामा बिन लादेन का डॉक्टर था।
हमला अफगानिस्तान के समयानुसार, 31 जुलाई (रविवार) सुबह 6.18 बजे किया गया। तब अमेरिका में 30 जुलाई (शनिवार) की रात के 9.48 बजे थे। अमेरिकी अफसर ने बताया कि अमेरिकी एजेंसियां काबुल में जवाहिरी का पिछले एक साल से लगातार पीछा कर रही थीं। उसकी हर गतिविधि की रिपोर्ट का व्हाइट हाउस और पेंटागन में बैठे अधिकारी अध्ययन कर रहे थे। उन्हें सिर्फ एक मौके की तलाश थी। इस कार्रवाई पर अमेरिका ने कहा कि 9/11 हमले का बदला ले लिया।
क्या है हेलफायर मिसाइल?
रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-जवाहिरी की मौत की अब तक जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसमें ना ही किसी विस्फोट के निशान मिले और ना ही किसी खून-खराबे के। इसके बावजूद सीआईए ने इस मिशन को अंजाम दिया। दरअसल, ड्रोन हमले के लिए अमेरिका ने अपनी खतरनाक हेलफायर R9X मिसाइल का इस्तेमाल किया। इसे निंजा मिसाइल भी कहा जाता है।
यह मिसाइल अन्य मिसाइलों की तरह विस्फोट नहीं करती, बल्कि इसके अंदर से चाकू जैसे ब्लेड्स निकलते हैं, जो टारगेट पर सटीक निशाना लगाते हैं। हेलफायर मशीन को काफी घातक और टारगेट पर सटीक निशाना बनाने के लिए ही पहचाना जाता है। इससे आस-पास के लोगों को कोई चोट नहीं पहुंचती। अपने संबोधन में, जो बाइडन ने कहा भी है कि सटीक हमले में जवाहिरी के परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य नागरिक को कोई नुकसान नहीं हुआ।
ऐसे ट्रैक हुआ जवाहिरी...
इस साल जनवरी में अमेरिकी खुफिया सूत्रों को पता चला कि अल-जवाहरी की पत्नी, बेटी और पोते काबुल में एक घर में शिफ्ट हुए हैं। अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, हमने उन पर नजर रखी। वैसे जवाहिरी का परिवार वो सारे ऐहतियात बरत रहा था, जिससे कोई उनका पीछा ना कर सके, लेकिन सुराग मिल चुके थे।
अब यह भरोसा हो चुका था कि अल-जवाहिरी भी घर पर हो सकता है। अधिकारी के मुताबिक, ओसामा बिन लादेन की तरह ही जवाहिरी के लाइफ पैटर्न को समझने के लिए अलग-अलग सोर्स और तरीकों का इस्तेमाल किया गया, जिससे कन्फर्म हो गया कि वो उस घर में मौजूद है। इससे एक और बात पता चली कि वो बालकनी में वक्त बिताता है। हमले के लिए इसी समय को चुना गया।