WARDHA. भारतीय जन संचार संस्थान (Indian Institute of Mass Communication) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी (Director General Prof. Sanjay Dwivedi) ने संचार माध्यमों से वैचारिक साम्राज्यवाद (Ideological Imperialism) के विरुद्ध वातावरण बनाने का आह्वान करते हुए कहा है कि भारत का विचार वैश्विक है, क्योंकि भारत पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है। भारत दुनिया में केवल राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संचार भी स्थापित कर रहा है। प्रो. द्विवेदी 3 अगस्त को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi International Hindi University), वर्धा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय (Senior Journalist Umesh Upadhyay), राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी (Harshvardhan Tripathi) और विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे भी उपस्थित थे।
भारतीय डायस्पोरा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य: जीवन एवं संस्कृति
भारतीय डायस्पोरा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य: जीवन एवं संस्कृति विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा भारतीय भाषाओं में जो संचार हो रहा है, वह वैश्विक संचार है। भाषाओं से ही हमारा वैश्विक जुड़ाव हो रहा है। इसी कारण सभी दिशाओं से कल्याणकारी विचार प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय डायस्पोरा में महात्मा गांधी के साथ स्वामी विवेकानंद, आचार्य रजनीश जैसे संचारकों ने दुनिया में अपने पदचिन्ह स्थापित किए, जिससे दुनिया में आध्यात्मिक संचार स्थापित और विस्तारित हुआ है।
आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार 1990 के बाद के भारत ने स्वयं को इतनी गति के साथ बदला है कि वह परिवर्तन सिर्फ मीडिया में ही नहीं, बल्कि समाज के सभी क्षेत्रों में दर्ज किया गया है। 24 घंटे के समाचार चैनलों के आने, अखबारों के रंगीन होने और मोबाइल के स्मार्ट होने के बाद जो दुनिया बनी है, उस दुनिया को हम पहचान नहीं सकते हैं। आज भारत को भारत की नजर से देखने की जरुरत है।
पश्चिम मीडिया नैरटिव स्थापित करता है- उपाध्याय
इस अवसर पर उमेश उपाध्याय ने कहा कि फेक न्यूज कोई वर्तमान की नहीं, बल्कि ये पश्चिमी मीडिया की देन है। पश्चिमी मीडिया ने महात्मा गांधी के बारे में भी नैरेटिव सेट करने का काम किया था। गांधी, पटेल के साथ भारत के कई नेताओं को इसका सामना करना पड़ा। भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर दिखाने के लिए ही पश्चिम मीडिया नैरटिव स्थापित करता है।
हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि प्रवासी भारतियों ने दुनिया में भारत की छवि बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व में संचार की प्रकृति बदल गई है। पहले एकतरफा संचार होता था, आज हमें तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है। त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में मीडिया और समाज के लोकतांत्रीकरण की आवश्यकता पर बल दिया।
शोधार्थियों ने पत्र शोधपत्र पढ़े
संगोष्ठी के दौरान प्रो. कृपाशंकर चौबे ने 'इंडियन ओपिनियन का सत्याग्रह', शोधार्थी गौरव चौहान ने 'गिरमिटिया देश फिजी का हिंदी अखबार शांतिदूत', अरविंद कुमार ने 'सोशल मीडिया में भारतीय डायस्पोरा की उपस्थिति' एवं नंदिनी सिन्हा ने 'मॉरीशस की हिंदी पत्रकारिता को दुर्गा की देन' विषय पर अपने शोधपत्र पढ़े। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रेणु सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजेश लेहकपुरे ने दिया। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।