New Update
/sootr/media/post_banners/77ef665bb967c5ff5da607f56b0651d6496f8ea37bf941ad757accbdc5c096ce.png)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
काबुल. अफगान मूल की महिलाओं ने पहनावे को लेकर पुरी दुनिया के सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड पॉपुलर हो रहा है। इसे डू नॉट टच माय क्लोद्स का नाम से चलाया जा रहा है। विदेशों में रह रही अफगानी मूल की महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ अभियान छेड़ा है। अफगानी महिलाओं का कहना है कि अफगानिस्तान का कल्चर वैसा नहीं है, जैसा तालिबान दिखाना चाहता है।
सोशल मीडिया पर विदेशों से महिलाएं इस प्रोटेस्ट में भाग ले रही हैं। इस ट्रेंड की शुरुआत यूएस की बहार जलाली ने की। उन्होंने अफगानी बच्ची और महिलाओं के बुर्के पहनने पर गुस्सा का इजहार किया। कोई भी महिला अफगानिस्तान में ऐसे नहीं रहती है। ये पूरी तरह से बाहरी कल्चर है, जिसे अफगानियों पर थोपा जा रहा है। कई महिलाओं ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि तालिबान जो दिखा रहा है वो अफगान कल्चर नहीं है।
अफगानिस्तान की यूथ राईट एक्टविस्ट वाजमा सायले ने कहा अपने देश की महिलाओं को बुर्के में देखकर दुख हुआ। अफगानिस्तान की संस्कृति ऐसी नहीं है जैसा तालिबान दिखा रहा है। वाजमा अपनी पोस्ट में आगे लिखती हैं कि वो ये देखकर बहुत दुखी है। महिलाओं को काले रंग का नकाब पहनने को मजबूर किया जा रहा है। उनकी इस पोस्ट को देखकर स्वीडन की 36 वर्षीय महिला ने ग्रीन और सिल्वर ड्रेस में फोटो पोस्ट की। लिखा था- ये अफगान कल्चर है, इस तरह से हम तैयार होते है। जो कुछ भी दिखाया जा रहा है वो अफगान संस्कृति नहीं है। ये लड़ाई हमारी पहचान की है। इसके बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट काफी वायरल हुआ। इसके बाद कई अफगानी महिलाओं ने रंग बिरंगे कपड़े पहनकर अपनी फोटो पोस्ट की।