नोबेल: तंजानिया में जन्मे, शरणार्थी बने तो पलायन पर लिखा, जीता साहित्य का नोबेल

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नोबेल: तंजानिया में जन्मे, शरणार्थी बने तो पलायन पर लिखा, जीता साहित्य का नोबेल

भोपाल. साल 2021 का साहित्य (Literature) का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) उपन्यासकार अब्दुलरजक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) को दिया गया है। 6 अक्टूबर को स्वीडिस एकेडमी ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि गुरनाह ने अपनी लेखनी के जरिए उपनिवेशवाद के प्रभावों, संस्कृतियों और महाद्वीपों के बीच खाई में शरणार्थियों की स्थिति का करुणामय चित्रण किया है। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से शरणार्थियों के लिए दुनिया के दिलों में प्यार पैदा किया है।

21 साल की उम्र में अंग्रेजी में लिखना शुरु किया

अब्दुलराजाक गुरनाह का जन्म 1948 में हुआ था। वे जांजीबार द्वीप पर पले-बढ़े लेकिन 1960 के दशक के अंत में एक शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड (England) पहुंचे। गुरनाह ने दस उपन्यास और कई लघु कथाएं प्रकाशित की हैं। उनकी लेखनी में शरणार्थियों (Refugees) की समस्याओं प्रभावी ढंग से लिखी गई है। उन्होंने अंग्रेजी में 21 वर्ष की उम्र से लिखना शुरू किया, हालांकि, शुरुआत में उनकी लिखने की भाषा स्वाहिली थी। बाद में उन्होंने अंग्रेजी को अपनी लेखनी का माध्यम बना लिया। 

क्या है नोबेल पुरस्कार

स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने विस्फोटक डायनामाइट का अविष्कार किया था। अपने अविष्कार के युद्ध में इस्तेमाल होने की वजह से वह काफी दुखी थे। इसी के पश्चाताप के रूप में उन्होंने अपनी वसीयत में नोबेल पुरस्कारों की व्यवस्था की थी। उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा एक फंड में रखा जाए और उसके सालाना ब्याज से मानवजाति के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वालों को पुरस्कृत किया जाए।
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