NEW DELHI. जनसंख्या विस्फोट की चिंताओं के बीच आबादी कम होने की खबर आ रही है। जिसमें बताया गया कि इस सदी के जाने से पहले यानी 77 साल बाद दुनिया की आबादी के कम होने की आशंका है। 14वीं सदी में प्लेग से खासकर यूरोप में हुई मौतों के बाद पहली बार ऐसा होगा। इंडस्ट्रीयल रेवोल्यूशन के बाद करीब 250 साल से आबादी बढ़ती ही आई थी। जिसको लेकर चिंता भी जताई जाती रही है। एक्सपर्ट का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) ऐसे में उम्मीद जगाएगा। AI की मदद से अर्थव्यवस्था मानव संसाधन की कमी को दूर कर सकती है। इससे सेवानिवृत्त लोगों को सहारा मिलना जारी रहेगा।
ज्यादातर देशों में औसत जन्म दर कम हुई
रिपोर्ट्स बताती है कि आबादी गिरने का कारण इस बार मौतें नहीं बल्कि प्रजनन दर में गिरावट है। ज्यादातर देशों में प्रति महिला औसत जन्म कम हो गया है। विश्व अर्थव्यवस्था के लिए यह एक संकट की तरह देखा जा रहा है। 2000 में प्रजनन दर प्रति महिला 2.7 थी जो प्रतिस्थापन दर (होने वाली मौतों के बदले होने वाले जन्म) 2.1 से ज्यादा थी जिससे आबादी में स्थिरता बनी रहती है। लेकिन आज प्रजनन दर 2.3 है और गिर रही है। यह भी बताते हैं, जीडीपी के मामले में 15 अग्रणी देशों में प्रतिस्थापन दर से कम प्रजनन दर है। इनमें अमेरिका के साथ ही चीन और भारत शामिल हैं। अफ्रीका के बाहर दुनिया की आबादी 2050 के दशक में पीक पर होने का अनुमान है।
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रिटायरमेंट उम्र बढ़ेगी, रिटर्न कम होगा
पर्यावरण और जलवायु एक्सपर्ट भले कम होती आबादी को पृथ्वी के हित में मानें, लेकिन इससे कई तरह की समस्याएं हैं। काम करने वाली आबादी पर टैक्स के जरिये दुनिया में कई देशों में बुजुर्गों को पेंशन दी जाती है। अमीर देशों में इस समय 65 साल की उम्र से ऊपर के हरेक व्यक्ति पर 20 से 64 साल की उम्र के तीन लोग हैं। 2050 तक यह आंकड़ा घटकर दो से कम हो जाएगा। इससे टैक्स और रिटायरमेंट उम्र बढ़ाना होगा। बचत पर कम रिटर्न मिलेगा। सरकार के बजट के लिए संकट पैदा होगा।
मानव संसाधन की भरपाई में AI से मिलेगी मदद
एक्सपर्ट का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) ऐसे में उम्मीद जगा रहा है। AI की मदद से अर्थव्यवस्था मानव संसाधन की कमी को दूर कर सकती है। इससे सेवानिवृत्त लोगों को सहारा मिलना जारी रहेगा। AI खुद ही आइडिया पैदा करेगा और इससे इंसानी बुद्धिमत्ता की जरूरत कम होगी। रोबोटिक्स के साथ मिलकर AI बुजुर्गों की देखभाल में भी इंसानी कमी को पूरा करेगा। ऐसे में इस तरह के इनोवेशन की मांग बढ़ेगी जिसमें एआई लोगों की कमी की पूर्ति कर सके।
युवा पीढ़ी में कमी से इनोवेशन पर पड़ेगा असर
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि युवा आबादी में समस्याओं के नए तरीकों से समाधान के लिए रचनात्मक सोच की क्षमता ज्यादा होती है। ऐसे में युवा आाबादी के कम होने से दुनिया में इनोवेशन पर असर होगा। युवा पीढ़ी बदलाव लाने में मददगार होती है। युवा आविष्कारकों के द्वारा आने वाले पेटेंट इनोवेशन लाते हैं। वहीं अगर देश बुजुर्गों की बहुतायत वाला होता है तो वहां की युवा आबादी कम उद्यमशील होती है और जोखिम लेने में हिचकती है। बुजुर्ग विकासपरक नीतियों के लिए कम उत्सुक होते हैं।
इमिग्रेशन से समस्या का हल नहीं
देशों में कामगारों की कमी को इमिग्रेशन से दूर करने की दलील पर एक्सपर्ट का कहना है कि प्रजनन दर में कमी वैश्विक होगी, ऐसे में हालात नहीं बदले तो पूरी दुनिया में ही युवा शिक्षित कामगारों का संकट हो सकता है। आबादी की कमी से जूझ रहे कई देश दूसरे देशों से कामगारों को बुलाने का करार कर कमी को दूर कर रहे हैं। जापान ने अपने यहां स्किल्ड और अनस्किल्ड युवाओं की कमी को दूर करने के लिए भारत से युवाओं को बुलाने और उन्हें प्रशिक्षित करने की पहल की है।