इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन प्रत्याशी की दौड़ में शामिल भारतीय मूल के अमेरिकी विवेक रामास्वामी की जबर्दस्त चर्चा है। कहा जा रहा है कि ईसाई युवाओं में उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। हालांकि यह बात वहां के कट्टर ईसाइयों को रास नहीं आ रही। रामास्वामी अपने प्रचार में हिंदू विचारधारा को लेकर बेबाकी से बयान दे रहे हैं। उनका मानना है कि हिंदू धर्म और ईसाई धर्म में अनेक समानताएं हैं। वहीं उनकी इस तुलना से रूढ़िवादी ईसाई उनसे खफा हैं।
कट्टर ईसाई कार्यकर्ताओं का मानना है कि विवेक रामास्वामी करिश्माई व्यक्तित्व के मालिक हैं। वे बात भी अच्छी करते हैं लेकिन वे अच्छे इंसान नहीं हैं, क्योंकि वे ईसाई नहीं हैं, हिंदू हैं। वे अच्छे प्रत्याशी भी नहीं हैं, क्योंकि हमारे ईश्वर का मजाक नहीं बनाया जा सकता।
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डिसेंटिस को मिल रही कड़ी टक्कर
बता दें कि रिपब्लिक पार्टी के प्रत्याशियों में डोनाल्ड ट्रंप ही सबसे अव्वल हैं। टंप समर्थक रामास्वामी की प्रतिभा को दरकिनार भी नहीं कर रहे और उन्हे उप राष्ट्रपति पद का दावेदार मान रहे हैं। अमेरिकी युवा कहते हैं कि रामास्वामी की सबसे अच्छी बात यह है कि वे फिजूल की बातें नहीं करते। युवाओं का मानना है कि उप राष्ट्रपति पद के लिए सबसे बेहतर प्रत्याशी हैं। केपलेम स्ट्रेटजी के अनुसार रामास्वामी और डिसेंटिस दोनों को 12-12 फीसदी वोट मिल रहे हैं। कुछ राजनैतिक पंडितों का कहना है कि रामास्वामी डिसेंटिस के वोटर्स में सेंधमारी कर रहे हैं। जिसके चलते डिसेंटिस को अपना कैंपेन मैनेजर भी बदलना पड़ गया है।
ट्रंप से तारीफ पाई, तारीफ की भी
रिपब्लिकन प्रत्याशियों में सबसे आगे चल रहे डोनाल्ड ट्रंप अपने बयानों में कई बार विवेक रामास्वामी की तारीफ कर चुके हैं। उधर कई मौकों पर विवेक भी ट्रंप के कसीदे पढ़ चुके हैं। अनेक मर्तबा ट्रंप का बचाव भी किया है। उनका मानना है कि ट्रंप ने कई नए मानदंड स्थापित किए हैं। रामास्वामी का कहना है कि अगर वे चुने जाते हैं तो ट्रंप को माफ कर देंगे।
ट्रंप समर्थकों की दूसरी पसंद बने
बता दें कि फ्लोरिडा में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में ट्रंप समर्थकों ने विवेक रामास्वामी को काफी पंसद किया था। यहां हुए पोल में 86 फीसदी लोगों ने ट्रंप को सपोर्ट किया वहीं दूसरी प्राथमिकता के तौर पर 51 फीसदी लोगों ने अपनी पंसद के रूप में रामास्वामी को चुना।