NEW DELHI. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरने के बाद से चंद्रयान-3 पिछले डेढ़ महीने से पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ था। 40 दिन के सफर के बाद भारतीय यान आज 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रच दिया। हम यहां उन लोगों के बारे में बता रहे रहे हैं जिन्होंने यह सब मुमकिन कर दिखाया। भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे के 6 लोग हैं, जिन्होंने बिना रुके और बिना थके लगातार मेहनत की और अंतरिक्ष में तिरंगे का झंडा बुलंद किया।
भारत का मून मिशन पूरा हो गया है। शाम 6.04 बजे विक्रम लैंडर चांद की जमीन को चूमा और भारत दुनिया में ऐसा कारनाम करने वाला चौथा देश बन गया। लेकिन, क्या हम चंद्रयान-3 मिशन के उन रियल हीरोज को भी जानते हैं। आइए, उन लोगों को जान लेते हैं, जिनके दम पर आज चंद्रयान सफलता के शिखर पर पहुंच गया है। चंद्रयान-3 मिशन के वो गुमनाम नायक, जिनके समर्पण और कड़ी मेहनत ने भारत को गर्व करने का मौका दिया।
मिशन में 1000 इंंजीनियरों और वैज्ञानिकों की भूमिका
इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गानाइजेशन (ISRO) के साइंटिंस्ट्स पिछले 4 साल से चंद्रयान-3 सैटेलाइट पर काम कर रहे थे। जिस समय देश में कोविड-19 महामारी फैली हुई थी, उस समय भी इसरो की टीम भारत के मिशन मून की तैयारी में जुटी थी। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ का कहना है कि लगभग 700 करोड़ रुपए के मिशन को पूरा करने और चलाने के लिए लगभग 1,000 इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने काम किया।
इनका रहा अहम रोल
चंद्रयान-3 को पूरा करने के लिए फीमेल साइंटिस्ट और इंजीनियर्स ने भी अहम किरदार निभाया। चंद्रयान-3 को सफल बनाने में एस सोमनाथ के अलावा प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल, मिशन डायरेक्टर मोहना कुमार, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक एम शंकरन और लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड (LAB) प्रमुख ए राजराजन ने भी अहम किरदार निभाया।
एस सोमनाथ, इसरो चेयरमैन
चंद्रयान -3 मिशन के पीछे सबसे प्रमुख लोगों में से एक,एस सोमनाथ हैं। इन्होंने पिछले साल इसरो का नेतृत्व संभाला और तब से इन्होंने मिशन के लिए अपना सब कुछ दे दिया। चंद्रयान-3 के साथ-साथ उन्हें इसरो के अन्य मिशनों को भी तेजी से पूरा करने का श्रेय दिया गया है। इसरो के अन्य मिशनों में गगनयान (भारत का पहला क्रू मिशन) और आदित्य-एल1 (सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का मिशन) शामिल हैं। इसरो की अध्यक्षता संभालने से पहले, एस सोमनाथ विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक के रूप में काम कर रहे थे और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर में भी काम कर रहे थे, दोनों केंद्र अंतरिक्ष एजेंसी के लिए रॉकेट तकनीक विकसित कर रहे थे।
पी वीरमुथुवेल, चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक
चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने 2019 में इसरो में कार्यभार संभाला। वह अपने तकनीकी ज्ञान के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने चंद्रयान-2 मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पी वीमुथुवेल तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले हैं और वह मद्रास में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-एम) के पूर्व छात्र हैं। वह पिछले 4 साल से चंद्रयान-3 मिशन पर काफी मेहनत कर रहे हैं।
एस उन्नीकृष्णन नायर, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम भारत के सबसे बड़े अंतरिक्ष मिशन, चंद्रयान -3 के महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखती है। वीएसएससी में उनकी टीम ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III विकसित किया है, जिसे अब लॉन्च व्हीकल मार्क-III नाम दिया गया है। डॉ. उन्नीकृष्णन पेशे से एक एयरोस्पेस इंजीनियर और भारतीय विज्ञान संस्थान के पूर्व छात्र हैं। उन्हें शॉर्ट स्टोरीज लिखना पसंद है।
एम शंकरन, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक
एम शंकरन यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक हैं, जिन्होंने जून 2021 में कार्यभार संभाला था। यूआरएससी में उनकी टीम इसरो के लिए भारत के उपग्रहों के डिजाइन और निर्माण का काम संभालती है। एम शंकरन के नेतृत्व में, यूआरएससी टीम ऐसे उपग्रह विकसित करती है जो संचार, मौसम पूर्वानुमान, रिमोट सेंसिंग, नेविगेशन और ग्रहों की खोज सहित इसरो की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
मोहना कुमार, मिशन निदेशक
एस मोहना कुमार LVM3-M4/चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक हैंऔर वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। एस मोहना पहले LVM3-M3 मिशन पर वन वेब इंडिया 2 उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रक्षेपण के निदेशक थे। एस मोहना कुमार के मुताबिक, "एलवीएम3-एम4 एक बार फिर इसरो के लिए सबसे विश्वसनीय हेवी लिफ्ट वाहन साबित हुआ है। इसरो परिवार की टीम वर्क को बधाई।" मोहन्ना ने यह भी बताया कि उनकी टीम भी कड़ी मेहनत कर रही है और एलवीएम की अधिक सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित कर रही है।
ए राजराजन, लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड के प्रमुख
ए राजराजन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र SHAR (SDSC SHAR) के निदेशक हैं, जो भारत के प्रमुख अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा में स्थित है। एसडीएससी एसएचएआर के निदेशक होने के नाते, वह इसरो लॉन्च और मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (गगनयान) और एसएसएलवी की लॉन्चिंग का काम कर रहे हैं। ए राजराजन ने कहा, "एक बार फिर अपना काम पूरा किया और चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को कक्षा में स्थापित कर दिया है। मैं सही प्रक्षेपण के लिए सभी टीमों को बधाई देता हूं।"
ये तो बस कुछ नाम हैं, चंद्रयान-3 का श्रेय इसरो के सभी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, तकनीशियनों और अन्य लोगों को जाता है जिन्होंने भारत को गौरवान्वित किया। चंद्रयान-3 के ये गुमनाम नायक भारत के चंद्र मिशन को पूरा करने में वर्षों से जुटे हैं।