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International Desk. चायना अपनी विस्तारवादी नीति को लेकर अतिक्रमण से बाज नहीं आ रहा है। ड्रैगन अब नई रेल लाइन बिछाने की तैयारियां कर रहा है। चीन की इस हरकत से भारत के लिए चिंता बढ़ गई है। असल में यह रेलवे लाइन एलएसी और विवादित अक्साई चीन से होकर गुजरेगी। इस नए रेल ट्रैक की योजना का खुलासा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र सरकार की ओर से किया गया है। एलएसी के पास चीन की यह गतिविधि इंडिया और तिब्बत दोनों के लिए चिंता का सबब बन गई है।
12 जनवरी को सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चायना की गतिविधियों को लेकर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि चीन की सैन्य टुकड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। बता दें कि अक्साई चीन 38 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिस पर 1950 के दशक में चीन ने अवैध तौर पर कब्जा जमा लिया था। वहीं चायना ने 962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस इलाके पर अपनी सैन्य पकड़ मजबूत कर ली। यह इलाका अभी भी दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
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यहां से गुजरेगा रेल ट्रैक
रेलवे टेक्नोलॉजी के मुताबिक, तिब्बत का मीडियम टू लॉन्ग टर्म प्लान 2025 तक टीएआर रेल नेटवर्क को मौजूदा 14 सो किमी से बढ़ाकर 4 हजार किमी करने में मदद करेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह परियोजना नए मार्गों को कवर करेगा जो भारत और नेपाल के साथ चीन की सीमाओं तक जारी रहेंगे। यह रेल ट्रैक तिब्बत के शिगात्से से शुरू होकर नेपाल की सीमा के साथ उत्तर पश्चिम में गुजरेगा। इसके बाद यह अक्साई चीन के उत्तर से होते हुए झिंजियांग के होतान में खत्म होगा।
रिपोर्ट के अनुसार यह प्लान्ड रूट लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के चीनी साइड रुतोग और पैंगोंग झील के आसपास से भी गुजरेगा। शिगात्से से पखुक्त्सो तक का पहला सेक्शन साल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। जबकि होतान तक रेल ट्रैक बिछाने का काम 2035 तक पूरा होने का अनुमान है। सरकारी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सामाजिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने में क्षेत्रीय रेलवे नेटवर्क में सुधार का बहुत महत्व होगा।