इंटरनेशनल डेस्क. नेपाल में रविवार सुबह हुआ विमान हादसे से हर कोई विचलित है। इस विमान हादसे में कई परिवार, कई उम्मीदें और कई सपने जलकर खाक हो गए। इस विमान में 4 सदस्यों का चालक दल भी सवार था। इन्हीं में से एक को पायलट अंजू खतिवडा भी थीं, जिनका सपना मात्र दस सेकेंड की दूरी पर विमान की आग में जलकर राख के ढेर में मिल गया। बतौर को-पायलट ये उनकी आखिरी उड़ान थी। अगर वे प्लेन लैंड करा लेतीं तो उन्हें मेन पायलट का सर्टिफिकेट मिल जाता और वे कैप्टन के पद पर प्रमोट हो जातीं। अंजू के पति दीपक पोखरेल की मौत भी एयर क्रैश में हुई थी। 16 साल पहले वे भी यति एयरलाइंस के प्लेन में को-पायलट थे। ये हादसा 21 जून 2006 को हुआ था। विमान नेपालगंज से सुर्खेत होते हुए जुम्ला जा रहा था। इसमें 6 पैसेंजर्स और 4 क्रू मेंबर की मौत हो गई थी।
मेन पायलट की सीट पर बैठी थी अंजू
पायलट बनने के लिए कम से कम 100 घंटे के फ्लाइंग एक्सपीरियंस की जरूरत होती है। को-पायलट रहते हुए अंजू नेपाल के लगभग सभी एयरपोर्ट पर प्लेन लैंड करा चुकी थीं। पोखरा के लिए उड़ान भरते वक्त कैप्टन कमल केसी ने मेन पायलट की सीट पर उन्हें बैठाया था।
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21 जून 2006 को अंजू के पति की हुई थी मौत
अंजू के पति दीपक पोखरेल की मौत भी एयर क्रैश में हुई थी। 16 साल पहले वे भी यति एयरलाइंस के प्लेन में को-पायलट थे। ये हादसा 21 जून 2006 को हुआ था। विमान नेपालगंज से सुर्खेत होते हुए जुम्ला जा रहा था। इसमें 6 पैसेंजर्स और 4 क्रू मेंबर की मौत हो गई थी। अंजू सीनियर पायलट और ट्रेनर कैप्टन कमल केसी के साथ उड़ान पर गई थीं। कमल केसी को विमान उड़ाने का 35 साल का अनुभव था। वे कई पायलटों को ट्रेनिंग दे चुके थे।
जो विमान क्रैश हुआ, वो 42 साल पुराना
पिछले 30 साल में नेपाल में यह 28वां विमान हादसा है। जो विमान क्रैश हुआ वह 42 साल पुराने मॉडल का था। नेपाल में जो विमान ATR 72-500 हादसे का शिकार हुआ, वो ATR एयरक्राफ्ट सीरीज का हिस्सा है। इस विमान के नाम में लगा 72 इसकी पैसेंजर कैपेसिटी को बताता है। इस मॉडल का पहला विमान 1981 में बना था। इसके बाद 100 से ज्यादा देशों की करीब 200 एयरलाइंस में इस विमान को शामिल किया गया। इस मॉडल के एयरक्राफ्ट को फ्रेंच कंपनी एयरबस और इटालियन एविएशन कंपनी लियोनार्दो ने मिलकर बनाया है। ये कंपनी कार्गो और कॉर्पोरेट एयरक्राफ्ट विमान भी बनाती है।