/sootr/media/post_banners/b8a68b4cdd85142dfdb31076acb2997d344a79658c74315bf1015eaaf950bd70.jpeg)
MOSCOW. रूस में दिनभर चले तख्तापलट के हालात 24 जून की देर रात बदल गए। बेलारूस के राष्ट्रपति के बीच बचाव के बाद ही वैगनर आर्मी प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने अपने रुख में बदलाव किया। प्रिगोझिन ने रूस की राजधानी मॉस्को की ओर जा रहे अपने टैंक्स रोक दिए हैं। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सेंडर लुकाशेंको ने वैगनर आर्मी के चीफ से बात की। अलेक्सेंडर ने प्रिगोझिन के सामने मॉस्को की ओर बढ़ रहे लड़ाकों को रोकने का प्रस्ताव दिया, जिसे वैगनर आर्मी चीफ ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने एक ऑडियो मैसेज जारी कर इसकी जानकारी दी। वैगनर आर्मी के चीफ प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों को यूक्रेन के फील्ड शिविरों लौटने का आदेश दिया है। इसी के साथ विद्रोह करने वाले वैगनर ग्रुप अब अपने कैंप में वापस जाने के लिए राजी हो गए हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसके लिए बेलारूस के अपने समकक्ष (काउंटरपार्ट) अलेक्जेंडर लुकाशेंको को धन्यवाद दिया है। वैगनर प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने कहा कि हम रूसी खून को बहाना नहीं चाहते।
हम मॉस्को में 200 किमी दूर थे- येवगेनी प्रिगोझिन
रॉयटर्स के मुताबिक, वैगनर आर्मी के चीफ ने ऑडियो मैसेज में कहा- वे (रूसी सरकार) वैगनर सैन्य कंपनी को खत्म करना चाहते थे। हमने 23 जून को न्याय के लिए मार्च शुरू किया। 24 घंटों में हम मॉस्को की सीमा के 200 किमी दूर थे। इस दौरान हमने अपने सेनानियों के खून की एक बूंद भी नहीं गिराई। वैगनर ने कहा कि हमारे लड़ाके वापस लौट रहे हैं, वे फील्ड शिविरों में जा रहे हैं। बेलारूस के राष्ट्रपति ने हमारी सुरक्षा की गारंटी के बदले में मॉस्को की ओर कूच रोकने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इस समझौते पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया। इससे पहले प्रिगोजिन ने कहा था कि न्याय मार्च का उद्देश्य भ्रष्ट रूसी कमांडरों को हटाना था, जिन्हें वह यूक्रेन में युद्ध को विफल करने के लिए दोषी मानते हैं।
उधर, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद रूसी जांच एजेंसी FSB ने वैगनर चीफ प्रिगोझिन के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया है। उन पर सशस्त्र विद्रोह भड़काने का आरोप लगाया गया है। लड़ाकों से उनका कोई आदेश ना मानने और उन्हें हिरासत में लेने को कहा गया है।
जेलेंस्की बोले- बुराई का रास्ता चुनने वाले खुद नष्ट हो जाते हैं
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूस में बगावत पर कहा है कि जो बुराई का रास्ता चुनता है, वह खुद भी नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा- लंबे समय तक रूस ने अपनी कमजोरी और सरकार की मूर्खता को छिपाने के लिए प्रोपेगेंडा का इस्तेमाल किया है। अब वहां इतनी अशांति है कि कोई झूठ उसे नहीं छिपा सकता।
वैगनर ट्रेनिंग कैंप पर अटैक से शुरू हुआ तनाव
रूस ने शनिवार (23 जून) को वैगनर प्रमुख प्रिगोझिन पर तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाया। रॉयटर्स के मुताबिक, रूस और वैगनर के बीच तल्खी यूक्रेन के बाखमुत में प्राइवेट आर्मी के ट्रेनिंग कैंप पर मिसाइल अटैक के बाद शुरू हुई। इस हमलें में कई वैगनर लड़ाके मारे गए थे। प्रिगोझिन ने क्रेमलिन को इसका दोषी बताया था।
दो हफ्ते पहले ही रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था। इसके तहत यूक्रेन के खिलाफ लड़ रहे सभी प्राइवेट लड़ाकों को रूस की सेना में शामिल होने के आदेश दिए गए थे। इसके लिए सभी प्राइवेट मिलिट्री से एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाने की बात कही गई थी। रूस की सबसे बड़ी प्राइवेट मिलिट्री वैगनर ने ये समझौता करने से इनकार कर दिया था।
टकराव पर आए थे दो अहम बयान...
1. हम मातृभूमि के लिए मरने को तैयार- प्रिगोझिन
BBC के मुताबिक, प्रिगोजिन ने कहा- हमारे पास 25 हजार लड़ाकों की फौज है। हमने अपना लक्ष्य तय कर रखा है और हम मरने के लिए भी तैयार हैं। हम अपनी मातृभूमि और रूसी नागरिकों के लिए खड़े हैं। उन्हें ऐसे लोगों से मुक्ति मिलनी चाहिए, जो आम लोगों की हत्या कर रहे हैं।
2. वैगनर का साथ दे रूसी जनता- पुतिन विरोधी नेता
BBC के मुताबिक, पुतिन विरोधी नेता मिखाइल खोदोरकोव्स्की ने रूसियों से वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोजिन का समर्थन करने की अपील की है। येवगनी ने मॉस्को के सैन्य नेतृत्व को मिटाने की कसम खाई है। मिखाइल ने कहा- अगर वैगनर ने क्रेमलिन पर कब्जा करने का फैसला किया है तो हमें जरूरत पड़ने पर उनके साथ लड़ना होगा। पुतिन से मतभेद के बाद प्रिगोजिन ने 10 साल जेल में बिताए हैं। अब उसने रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ एक्शन लेने का फैसला किया है। ये सिर्फ शुरुआत है।
यूक्रेन सेना से लंबे समय से लड़ रहा वैगनर ग्रुप
यूक्रेन सेना से लंबे समय से लड़ रहा वैगनर ग्रुप ने रूस के लिए काफी अहम भूमिका निभाई है। खुद को प्राइवेट मिलिट्री कंपनी बताने वाला वैगनर ग्रुप को पहचान पहली बार 2014 में मिली थी, जब वह यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादी ताकतों का समर्थन कर रहा था। उस दौरान यह एक सीक्रेट ग्रुप हुआ करता था। यह अफ्रीका और मध्य पूर्व में सबसे ज्यादा सक्रिय था। माना जाता है कि उस वक्त इस ग्रुप में केवल 5 हजार लड़ाके ही शामिल थे। इसमें रूस के सबसे ज्यादा स्पेशल फोर्स के सैनिक मौजूद थे।
पुतिन को सता रहा था तख्तापलट का डर
तख्तापलट के डर से पुतिन ने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन की सुरक्षा कड़ी करने के लिए मॉस्को में टैंकों की तैनाती करने के आदेश जारी किए थे। पुतिन को डर सता रहा था कि उनकी प्राइवेट मिलिशिया वैगनर ग्रुप उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए तख्तापलट करने की कोशिश कर सकता है।