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इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिकी एयरफोर्स के पूर्व पायलट और इंटेलिजेंस के अफसर का दावा है कि पृथ्वी के बाहर भी जीवन है। इतना ही नहीं, अफसर ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास दूसरे ग्रह से जुड़ी खुफिया और महत्वपूर्ण जानकारी हैं। ऑफिसर डेविड चार्ल्स ग्रुश का कहना है कि अमेरिकी इंटेलिजेंस के पास UFO के पायलेट्स की डेड बॉडी और UFO का मलबा है। अमेरिकी साइंटिस्ट इनका इस्तेमाल हथियार बनाने में करना चाहते हैं।
पहली बार हुआ खुलासा
UFO को अनआईडेन्टिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स कहा जाता है। करीब 70 साल से इनको लेकर कई कहानियां सुनने को मिलती रहती हैं। ऑफिसर ग्रुश से पहले भी कई लोग UFO देखने का दावा कर चुके हैं, लेकिन ग्रुश का दावे में इसलिए दम लगता है क्योंकि वे अमेरिकी एयरफोर्स में पायलट रह चुके हैं। अब वे व्हिसल ब्लोअर बन चुके हैं और अमेरिकी सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस रहस्य को दुनिया के सामने लाया जाए।
ग्रुश ने खोले कई राज
ऑफिसर ग्रुश ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिकी डिफेंस साइंटिस्ट कई साल से प्रोजेक्ट UFO पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कई UFO को या तो मार गिराया या फिर वो खुद ही क्रैश हो गए। इनका मलबा बरामद किया गया। इनके पायलट की डेड बॉडी बरामद की गई। ये सभी एक स्पेशल यूनिट के पास हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि ‘नॉन ह्यूमन्स’ का वजूद मौजूद है। अमेरिका के पास इसके पुख्ता सबूत हैं। UFO में मौजूद लोगों को आप कोई भी नाम दे सकते हैं। कुछ लोग इन्हें एलियन भी कहते हैं। मैं खुद पहले एयरफोर्स और बाद में नेशनल जियोस्पेक्टिल इंटेलिजेंस एजेंसी में रहा। अमेरिका और शायद कुछ दूसरे देश एक नई तरह की आर्म्स रेस में शामिल हैं। अमेरिका तो UFO की रिवर्स इंजीनियरिंग के काफी करीब है।
संसद को सबूत देंगे ग्रुश
ऑफिसर ग्रुश ने कहा है कि वो अमेरिकी कांग्रेस और इंटेलिजेंस कम्युनिटी इंस्पेक्टर जनरल को UFO से जुड़े दावों के सबूत भी देने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि UFO के पायलट की डेड बॉडी और इसके पार्ट्स पर अमेरिका बहुत लंबे वक्त से काम कर रहा है।
ग्रुश अब तक क्यों चुप थे?
ग्रुश पेंटागन की स्पेशल यूनिट अन-आईडेन्टिफाइड फिनोमिना के मेंबर थे। इसकी एक यूनिट समंदर की गहराई में काम करने वाले कुछ सीक्रेट ऑब्जेक्ट्स पर भी काम करती रही है। ग्रुश ने कभी UFO पायलट की डेड बॉडी या UFO के पार्ट्स नहीं देखे। वहां सिर्फ चुनिंदा अफसर ही जा सकते हैं। उन लोगों ने ही ग्रुश को जुबान बंद रखने को कहा था।
क्या करना चाहता है अमेरिका?
ऑफिसर ग्रुश का कहना है कि मेरे पास जानकारी और सबूत हैं कि अमेरिका UFO की रिवर्स इंजीनियरिंग कर रहा है। वो एलियन टेक्नोलॉजी के भी काफी करीब है। मेरी यूनिट के कई लोगों को इस बारे में कभी जानकारी नहीं दी गई। ग्रुश जिस रिवर्स इंजीनियरिंग की बात कर रहे हैं, वो दरअसल एक प्रोसेस है। इसमें किसी क्रैश या तबाह हुई चीजों के हिस्सों को फिर वैसा ही बनाने की कोशिश की जाती है, जैसा वो पहले रहा होगा।
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भारत में पहली बार 1951 में दिखा था UFO
1951 में दिल्ली में फ्लाइंग क्लब के मेंबर्स ने एक ऑब्जेक्ट को आसमान में देखा। ये सिगार के आकार का था। थोड़ी देर दिखने के बाद ये आसमान में गायब हो गया। ऐसे ज्यादातर ऑब्जेक्ट्स 21वीं सदी की शुरुआत में देखे गए थे। उसके बाद कैमकॉर्डर से ऐसी घटनाओं को रिकॉर्ड करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गई।