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TOKYO. एक तरफ विश्व के कई देश बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण परेशान हैं, तो वहीं जापान में समस्या ठीक इसके उलट है। जापान में घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की सलाहकार ने यह चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि देश में जिस तेजी से जन्मदर घट रही है, उससे यह संकट पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में देश के सामने सामाजिक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के सामने गंभीर खतरे पैदा हो सकते हैं।
विश्व के नक्शे से गायब हो जाएगा जापान
पीएम किशिदा की सलाहकार मसाका मोरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन देश ही विश्व के नक्शे से गायब हो जाएगा। देश में जन्मदर बीते साल के मुकाबले भी काफी कम रही है। बता दें कि जापान में जन्मदर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मसाका मोरी ने कहा कि जिस तरह से जनसंख्या में गिरावट आ रही है, वह चिंता की बात है। इसके लिए लोगों को खुद ही जागरूक होना होगा।
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8 लाख जन्मे, 15 लाख से ज्यादा हुई मौतें
बीते साल जापान में 8 लाख बच्चे पैदा हुए, जबकि 15 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों और परिवार से जुड़े खर्च को दोगुना करना होगा। उन्होंने कहा कि यह गिरावट हमारे अनुमान से भी कहीं ज्यादा है। इसके कारण जापान के वजूद पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अगर इसी तरह के हालात बने रहे तो आने वाले समय में जापान और जापानी संस्कृति विश्व में अपने वजूद के लिए संघर्ष करती नजर आएगी।
अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक है घटती हुई जनसंख्या
अभी जापान की आबादी 12.46 करोड़ की है। 2008 में जापान की कुल आबादी 12 करोड़ 40 लाख की थी। इस आंकड़े को देखें तो ये समझ आता है कि जापान की आबादी में लगातार गिरावट का दौर जारी है। यही नहीं इस आबादी में भी बुजुर्गों की संख्या काफी अधिक है। इसके चलते वर्क फोर्स की कमी भी बढ़ रही है और यह अर्थव्यवस्था के लिए भी चुनौतीपूर्ण है।
देश की सुरक्षा के लिए फोर्स में जवानों की कमी
जापान कि जन्मदर में यह गिरावट धीरे-धीरे नहीं आ रही है, बल्कि तेजी से कम हो रही है। प्रधानमंत्री किशिदा को एलजीबीटी और जन्मदर से जुड़ी समस्याओं को लेकर सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि यदि आज हमने कोई प्रयास नहीं किया तो फिर सामाजिक सुरक्षा पर खतरा होगा और पूरा सिस्टम ही ध्वस्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक और आर्थिक ताकत भी हमारी घट जाएगी। इसी के साथ साथ जापान को सुरक्षा के लिए सेना में जवानों की भी भारी कमी का सामना करना पड़ेगा और आने वाले समय में जापान अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाएगा।