नई दिल्ली. भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराया हुआ है। सड़कों पर फूटती लोगों की नाराजगी के मद्देनजर श्रीलंका सरकार ने आपातकाल लगा दिया। इस बीच भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया, और 40 हजार मीट्रिक टन डीजल कोलंबो भेजा। साथ ही अतिरिक्त 20 हजार टन तेल जल्द उपलब्ध कराने की कवायद भी शुरू कर दी गई है।
भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
जानकारी के मुताबिक इंडियन ऑइल कोर्पोरेशन को श्रीलंका के लिए भंडार से अतिरिक्त तेल मुहैया कराने के लिए कहा गया है। आईओसी के सहयोग से बनी आईओसीपीसीएल ने एक दिन पहले की सीलोन इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड को 6 हजार मीट्रिक टन तेल के साथ टैंकर भेजे थे। श्रीलंका में पैट्रोल-डीजल की किल्लत है। साथ ही तेल की कमी श्रीलंका के बिजली संकट के लिए भी जिम्मेदार है क्योंकि इस द्वीप देश में बिजली उत्पादन का 10 प्रतिशत उत्पादन तेल से चलने वाले पावर प्लांट से होता है। वहीं कोयला कम होने से बिजली उत्पादन का गणित भी गड़बड़ा गया है।
श्रीलंका ने बढ़ाई भारत की चिंता
श्रीलंका के हालात आने वाले दिन में और अधिक खराब होने की आशंका है। एक डॉलर की कीमत अब तक के न्यूनतम स्तर यानि 297.99 रुपये पर पहुंच गई है। ऐसे में भारत की चिंताएं स्वाभाविक हैं क्योंकि तमिल बहुल इलाकों से लोगों के पलायन कर तमिलनाडु के इलाकों में आने का सिलसिला शुरु हो चुका है।
टूरिज्म ठप हुआ, कर्ज में डूबा देश
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म सेक्टर का बड़ा रोल है, लेकिन कोरोना की मार से यह पहले ही ठप पड़ा है। टूरिज्म देश के लिए फॉरेन करेंसी का तीसरा बड़ा सोर्स है। इसके कमजोर पड़ने से देश का विदेश मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है। करीब 5 लाख श्रीलंकाई सीधे पर्यटन पर निर्भर, जबकि 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। श्रीलंका की GDP में टूरिज्म का 10% से ज्यादा योगदान है।