पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन, 79 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, कारगिल युद्ध के लिए थे जिम्मेदार

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Vijay Choudhary
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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन, 79 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, कारगिल युद्ध के लिए थे जिम्मेदार

Islamabad. लंबे समय से बीमार चल रहे पाकिस्तान के पूर्व पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दुबई के अस्पताल में निधन हो गया है। उन्होंने 79 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दुबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। कारगिल युद्ध के लिए परवेज मुशर्रफ जिम्मेदार थे। ये पाकिस्तान सेना के प्रमुख थे। परवेज मुशर्रफ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। मई 2016 में पाकिस्‍तान की कोर्ट ने देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे परवेज मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया था। जिसके बाद वे दुबई चले गए थे।





पाक सरकार की ओर से मिला था मेडल





परवेज मुशर्रफ दिल्ली में पैदा हुए थे। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली। उन्होंने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये युद्ध पाकिस्तान हार गया। बावजूद इसके बहादुरी से लड़ने के लिए पाक सरकार की ओर से मुशर्रफ को मेडल दिया गया।





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अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे थे मुशर्रफ





मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिजनों ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके कारण उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया है अब रिकवरी की भी कोई संभावना नहीं है।





1998 में पाकिस्तान सेना के जनरल बने मुशर्रफ





परवेज मुशर्रफ 1998 में पाकिस्तान सेना के जनरल बने थे। उन्होंने कारगिल युद्ध् की साजिश रची थी। हालांकि इसमें असफल हुए थे। भारत ने कारगिल में पाक को मुंहतोड़ जबाव दिया था। मुशर्रफ ने अपनी जीवनी 'इन द लाइन ऑफ फायर- अ मेमॉयर' में  लिखा है कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन पाक के ही नेता नवाज शरीफ के कारण वे ऐसा नहीं कर सके।





21 साल में ज्वाइन की थी आर्मी





पाकिस्तान के माना वीर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद परवेज मुशर्रफ ने आर्मी ज्वॉइन की थी। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 21 साल थी। 1965 के भारत से युद्ध के समय भी मुशर्रफ ने पाक की तरफ से महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इस युद्ध् में पाक को पराजय मिली थी। फिर भी पाक सरकार ने उन्हें बहादुरी का मेडल दिया था। इसके बाद भारत के खिलाफ 1971 के युद्ध में भी मुशर्रफ ने पाक सेना की ओर से अहम रोल अदा किया था। इस बार भी पाक को असफलता ही हाथ लगी थी, पर पाक सरकार ने मुशर्रफ को प्रमोट किया था।





अमाइलॉइडोसिस दुर्लभ और गंभीर 





ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार, अमाइलॉइडोसिस दुर्लभ और गंभीर बीमारियों का ग्रुप है। इसमें इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से ये अंग ठीक से काम नहीं कर पाते।





2001 में मुशर्रफ बतौर पाक राष्ट्रपति भारत आए थे





भारत-पाक विभाजन के समय परवेज मुशर्रफ परिवारवालों के साथ पाकिस्तान चले गए थे। उस वक्त उनकी उम्र महज चार साल की थी। हालांकि दिल्ली के जिस घर में उनका जन्म हुआ था वो अब काफी पुराना और जजर हो गया है।उनका जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। साल 2001 में मुशर्रफ, बतौर पाक राष्ट्रपति भारत आए थे। उस समय वे अपने पुराने घर दिल्ली गए थे। जिसमें कभी उनका परिवार किराए से रहता था। हवेलीनुमा दिल्ली के उस घर में वर्तमान में 8 परिवार रहते हैं। मुशर्रफ का परिवार पुरानी दिल्ली के जाने-माने परिवारों से ताल्लुक रखता था। 





नवाज का तख्ता पलट कर बने थे राष्ट्रपति





परवेज मुशर्रफ ने 1999 में नवाज शरीफ सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली थी और 20 जून,2001 से  18 अगस्त 2008 तक पाक के राष्ट्रपति रहे थे।



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