इंटरनेशनल डेस्क. ऑस्ट्रेलिया की सरकार जल्द ही दक्षिणपंथी सोच रखने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत देश में स्वास्तिक जैसे नाजी चिह्न के साथ कई प्रतीकों को दिखाने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा और ऐसा करने वालों को सजा मिलेगी। स्वास्तिक (Swastik) जैसे दिखने वाले हकेनक्रेज (Hakenkreuz) को कहीं न कहीं हिटलर से भी जोड़कर देखा जाता है, वहीं हिंदू धर्म के लोग स्वास्तिक को शुभ और तरक्की का चिह्न मानते हैं। हकेनक्रेज पर कई राज्यों ने पहले से ही बैन लगा रखा है, वहीं स्वास्तिक के इस्तेमाल पर हिंदू, जैन और बोद्ध धर्म के लोगों को छूट दी गई है।
मैरीलैंड में स्वास्तिक पर बैन लगाने का हुआ था विरोध
जानकारी अनुसार, स्वास्तिक जैसे दिखने वाले 'हकेनक्रेज' को हिटलर से भी जोड़कर देखा जाता रहा है। इसी के चलते अमेरिका के मैरीलैंड राज्य ने स्वास्तिक पर भी बैन लगा दिया था, जिसका हिंदुओं ने काफी विरोध किया।
क्यों बैन किया जा रहा है 'हकेनक्रेज'
दरअसल, स्वास्तिक जैसे दिखने वाले 'हकेनक्रेज' को नाजी प्रतीक कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जर्मन शासक हिटलर ने यहूदियों के कत्लेआम करने वाली नाजी सेना के झंडे पर स्वास्तिक का चिह्न दिया था। उस दौरान हिटलर के शासन में इतनी हिंसा हुई थी कि इसे हिंसा का प्रतीक भी कहा जाने लगा।
हिटलर ने नाजी सेना के झंडे पर लगाया 'हकेनक्रेज'
हिटलर अपने शासनकाल के दौरान नाजी सेना को आक्रमक दिखाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहा था। इसके चलते उसने सेना का अलग झंडा लाने का विचार किया। इस झंडे के बीच में एक सफेद गोले में 45 डिग्री झुका हुआ स्वास्तिक जैसा चिह्न था, जिसे 'हकेनक्रेज' कहा जाता है।
विवाद और बैन का कारण
हिटलर के इशारे पर नाजी सेना ने अपने नए झंडे को हाथ में लेकर कई यहूदियों का कत्लेआम किया था। इसके बाद से इस 'हकेनक्रेज' चिह्न को यहूदी विरोधी और नस्ल विरोधी कहा जाने लगा। कई जगह 'हकेनक्रेज' को हिंसा का प्रतीक भी कहा जाता है। यही कारण था कि कई देशों की सरकारों ने इस पर बैन लगाने का काम किया।
हिंदुओं के स्वास्तिक से कैसे अलग है 'हकेनक्रेज'
हिंदुओं का स्वास्तिक नाजी प्रतीक से बनावट और मतलब दोनों में अलग है। हिंदुओं के स्वास्तिक में चारों कोणों में चार बिंदु लगाए जाते हैं और इसे बनाने में पीले और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी प्रतीक 'हकेनक्रेज' में बिंदु नहीं होते हैं और ये सफेद गोले में काले रंग से बना होता है।
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ये है मान्यता
नाजी लोग 'हकेनक्रेज' को संघर्ष का प्रतीक मानते थे, वहीं हिंदू धर्म के लोग स्वास्तिक को शुभ और तरक्की का चिह्न मानते हैं। जैन धर्म के लोग स्वास्तिक को 7वें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं, तो वहीं बौद्ध धर्म के लोग इसे बुद्ध के पदचिह्न के निशान का प्रतीक मानते हैं।