जर्मनी की कस्टडी में ही रहेगी भारतीय बच्ची अरिहा शाह, कोर्ट ने दंपति को बच्ची देने से किया इनकार, जानें क्या है पूरा मामला

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BP Shrivastava
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जर्मनी की कस्टडी में ही रहेगी भारतीय बच्ची अरिहा शाह, कोर्ट ने दंपति को बच्ची देने से किया इनकार, जानें क्या है पूरा मामला

International Desk. जर्मनी की अदालत से भारतीय दंपति धारा और भावेश शाह को झटका लगा है। कोर्ट ने भारतीय दंपति को उनकी 27 महीने की बेटी अरिहा शाह की कस्टडी देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने बच्ची को जर्मनी के यूथ वेलफेयर ऑफिस को सौंपने का फैसला सुनाया है। सात महीने की आयु में अरिहा ( जो अब 27 महीने की है ) को दो चोटें लग गई थी। जर्मनी ने अरिहा के माता-पिता को उसे चोट पहुंचाने का आरोप लगाकर उनसे कस्टडी छीन ली थी। जिसके बाद सितंबर 2021 में अरिहा को देखभाल के लिए यूथ वेलफेयर ऑफिस की कस्टडी में भेज दिया गया था। 



रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट ने शुक्रवार (16 जून) को सुनवाई में मानने से इनकार कर दिया कि अरिहा को मामूली दुर्घटना में चोट लगी थी। कोर्ट के फैसले के बाद अरिहा के माता-पिता ने कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर पर पूरा भरोसा है कि वो अरिहा को वापस भारत लाएंगे।



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बच्ची की कस्टडी इंडियन वेलफेयर सर्विसेज को दें- मां धारा



जब कोर्ट ने अरिहा की कस्टडी को सौंपने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अरिहा की मां ने कोर्ट में अपील की थी कि उनकी बेटी की कस्टडी इंडियन वेलफेयर सर्विसेज को दी जाए। ताकि वो अपने भारतीय मूल्यों से दूर ना हो। मां धारा ने कहा कि अरिहा अपने रीति-रिवाजों से भी दूर हो रही है। हम मीट नहीं खाते थे, लेकिन फोस्टर केयर में उसे ये सब खाना पड़ रहा है। जबकि, हम जैन समुदाय से हैं।



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चाइल्ड केयर यूनिट में क्यों है अरिहा



2021 में अरिहा करीब 7 महीने की थी। तब उसकी दादी जर्मनी गईं थीं। उनकी गलती से अरिहा के प्राइवेट पार्ट पर चोट लग गई। डायपर में खून दिखने के बाद पेरेंट्स अरिहा को अस्पताल ले गए। यहां उन पर जर्मनी चाइल्ड केयर यूनिट ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसके बाद बच्ची को पेरेंट्स से दूर फॉस्टर केयर में भेज दिया गया। 



जर्मनी की विदेश मंत्री ने कहा- मामला कोर्ट में लंबित, फैसले के बाद ही कुछ तय होगा



बच्ची के माता-पिता बीते एक साल से भारत के विदेश मंत्रालय से बात कर रहे हैं। उन्होंने मामले में हस्तक्षेप करने की बात भी कही थी। जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने एक हफ्ते पहले ही कहा था कि वे इस मुद्दे की गंभीरता से वाकिफ हैं। जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने कहा कि बच्चे की भलाई प्राथमिकता है। एजेंसी बच्चे को तभी अपनी हिरासत में लेती है, जब बच्चा अपने घर में सुरक्षित नहीं है। फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है। फैसले के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।


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