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इंटरनेशनल डेस्क. जापान ने साल 2011 में आई सुनामी में खराब हो चुके अपने न्यूक्लियर पावर प्लांट में रखे गए 1 मिलियन टन यानी 2 हजार करोड़ लीटर से ज्यादा जहरीले पानी को पैसिफिक महासागर में छोड़ने का फैसला किया है। जापान के इस फैसले पर चीन और साउथ कोरिया ने आपत्ति ली है।
पानी को छोड़ने की शुरुआत इसी साल होगी
इस जहरीले पानी का इस्तेमाल जापान अपने न्यूक्लीयर पावर प्लांट में रिएक्टर्स को ठंडा रखने के लिए करता था। ये पानी फिलहाल न्यूक्लियर पावर प्लांट की साइट पर बने टैंक्स में स्टोर किया गया है। सुनामी के 10 साल बीतने के बाद यह तय किया गया कि इसे समुद्र में छोड़ दिया जाएगा। जापान के विदेश मंत्री ने अब बताया है कि पानी को छोड़ने की शुरुआत इसी साल मार्च या जून में की जाएगी।
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पानी में ट्राइटियम के कण, फैल सकती हैं कई बीमारियां
रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान के इस जहरीले पानी में अभी भी ट्राइटियम के कण हैं। ट्राइटियम एक रेडियो एक्टिव मटेरियल होता है, जिन्हें पानी से अलग करना काफी मुश्किल होता है। इससे कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जबकि जापान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक पानी को महासागर में छोड़ने से पहले साफ कर दिया गया है।
जापान के लिए परेशानी बना हुआ है न्यूक्लियर प्लांट का पानी
जापान में न्यूक्लियर प्लांट का पानी और वेस्ट मैटिरियल काफी सालों से बनी समस्या बना हुआ है। पानी को पैसिफिक महासागर में छोड़े जाने का साउथ कोरिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश विरोध जता चुके हैं। वहीं जापान का कहना है कि पानी को पैसिफिक में छोड़ने के अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
अमेरिका के न्यूक्लियर टेस्ट के परिणाम अभी तक भुगत रहे हैं लोग
जापान के पैसिफिक सी में इस तरह से न्यूक्लियर पावर प्लांट का पानी छोड़ने से डरने की कई देशों की वजह को सही बताया जा रहा है। साउथ पैसिफिक में अमेरिका ने एक के बाद एक कई न्यूक्लियर टेस्ट किए थे, जिसका खामियाजा वहां के मार्शल आईलैंड पर रहने वाले लोग अब तक भुगत रहे हैं। हालांकि न्यूक्लियर टेस्ट करने और न्यूक्लियर रिएक्टर्स को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किया पानी महासागर में छोड़ने में काफी फर्क है। उसके बावजूद इसके असर को नकारा नहीं जा सकता है। खुद जापान में भी पानी को पैसिफिक सी में छोड़ने का विरोध हो रहा है।