इंटरनेशनल डेस्क. सोलर सिस्टम के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की स्टडी के लिए लॉन्च होने वाला मिशन आखिरी मिनट पर टल गया। यूरोपियन स्पेस एजेंसी को फ्रेंच गुएना से कोरोऊ स्पेसपोर्ट से ज्यूपिटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर मिशन लॉन्च करना था, लेकिन खराब मौसम और कड़कती हुई आकाशीय बिजली की वजह से इसे टाल दिया गया। इस मिशन में एरियन स्पेस और एयरबस भी शामिल हैं।
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— ESA's Juice mission (@ESA_JUICE) April 13, 2023
आठ साल में बृहस्पति ग्रह तक पहुंचेगा रॉकेट
इस मिशन को एरियन-5 नाम के रॉकेट से लॉन्च किया जाना था, जो आठ साल में बृहस्पति ग्रह तक पहुंचता। इस मिशन के जरिए ये पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या बृहस्पति ग्रह के चंद्रमाओं पर इंसानी जीवन संभव हो सकता है या नहीं। जूस मिशन के तहत बृहस्पति के 3 मुख्य चंद्रमाओं पर रिसर्च होगी।
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मिशन पर 13 करोड़ रुपए किए जाएंगे खर्च
यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के मुताबिक जूस स्पेसक्राफ्ट में लगे उपकरणों की मदद से बृहस्पति के साथ-साथ उसके तीन चंद्रमाओं - गेनीमेड, कैलिस्टो और यूरोपा की भी बारीकी से जांच होगी। वैज्ञानिकों को लगता है कि बृहस्पति के चंद्रमाओं की सतह के नीचे पानी के महासागर हैं, जो इन उपग्रहों को रहने लायक बना सकती है। बृहस्पति मिशन पर यूरोपीयन स्पेस एजेंसी 13 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
स्पेसक्राफ्ट में 11 तरह के पेलोड्स हैं
जूस स्पेसक्राफ्ट जिस जगह बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश करेगा, वहां से गैनीमेडे चंद्रमा नजदीक होगा। इस स्पेसक्राफ्ट में 11 तरह के पेलोड्स हैं, जिनमें से एक एयरबस स्पेस कंपनी का प्राइड स्पेसक्राफ्ट बस भी शामिल है। ये सभी अलग-अलग कामों के लिए हैं। कोई रिमोट सेंसिंग करेगा। कोई जियोफिजिकल जांच करेगा। कोई वायुमंडल देखेगा।
जूस स्पेसक्राफ्ट करेगा कई तरह की स्टडी
अपने 35 फ्लाईबाई के दौरान जूस स्पेसक्राफ्ट कई तरह की स्टडी करेगा। वह जमे हुए बर्फीले समंदर के अंदर-बाहर हर तरफ झांकेगा। तस्वीरें लेगा। जीवन की खोज करेगा। क्या पता किसी चांद पर कोई एलियन मिल जाए। अब अगर बात करें रॉकेट की तो ये यूरोपियन स्पेस एजेंसी का सबसे भरोसेमंद रॉकेट है।