( thesootr के लिए तमिलनाडु एक्सप्रेस के यात्री बने सूत्र... )
एक ओर तो खेल और खिलाड़ियों के लिए मध्य प्रदेश की सरकार कुछ भी कर गुजरने का दावा कर रही है ताे दूसरी ओर प्रदेश के खेल विभाग में कार्यरत कोचों के कारनामे कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। रविवार (18 जून) देर रात एक ऐसा मामला सामने आया, जो प्रदेश के खेल विभाग में कार्यरत काेचाें की मनमर्जी और घोर लापरवाही को उजागर करता है। दाे दिन पहले भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम की कराते अकेडमी से 14 बच्चों का दल दिल्ली में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय कराते प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए गया था। इन बच्चों में डे बोर्डिंग और पे एंड प्ले के खिलाड़ी भी शामिल थे। दिल्ली से रविवार की रात जब, यह बच्चे वापस लौटे तो इनके साथ गए कोच नदारद थे। ना तो इन बच्चों के ट्रेन रिजर्वेशन का पता था और ना ही उनको गाइड करने वाले दाेनाें कोच का। दिल्ली स्टेशन पर जब लोगों ने इन बच्चों को भटकते हुए देखा तो उन्होंने बिना रिजर्वेशन वाले टिकट के साथ इनको तमिलनाडु एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में बैठा दिया।
टॉयलेट के पास बैठे भविष्य के खिलाड़ी
रिजर्वेशन नहीं होने के कारण इन खिलाड़ियों को सीट पर बैठने की जगह नहीं मिली तो मजबूरी में सभी बच्चे टॉयलेट के पास किसी तरह बैठ गए और बिना कोच के ही दिल्ली से भोपाल की ओर रवाना हो गए। बता दें कि इन खिलाड़ियों में 13-14 साल के बच्चे हैं, जिनमें कई लड़कियां भी शामिल हैं।
देर रात से यात्रियों ने की मदद, नए यात्री आए ताे फिर टायलेट के पास पहुंचे
तमिलनाडु एक्सप्रेस में बैठे इन बच्चों को भूखा-प्यासा और परेशान देखकर आखिर ट्रेन में बैठे कुछ यात्रियों का दिल पसीज गया। उन्होंने इन बच्चों को अपनी सीटें बैठने के लिए दीं और खुद अपने रिश्तेदारों की सीटों पर जाकर बैठ गए। इन्हीं में से thesootr के एक सजग पाठक ने फोन कर इस मामले की जानकारी दी और कुछ बच्चों से बात भी करवाई। बच्चों ने नाम ना छापने का आग्रह करते हुए बताया कि वे टीटी नगर स्टेडियम के कोच दीपक नरवरिया और दीपेंद्र दुबे के नेतृत्व में इंटरनेशनल इंडिया ओपन कराते चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए 16 जून को दिल्ली गए थे। जहां पर उनको ना तो ठीक से रहने की जगह उपलब्ध कराई गई ना ही किसी कोच ने उनके खाने का ध्यान दिया। जब वे तमिलनाडु एक्सप्रेस में बैठे हुए थे, तब भी उन्होंने खाना नहीं खाया था। जबकि चैंपियनशिप की एंट्री फीस के साथ ही रहने और खाने की फीस भी इन कोच को सभी बच्चों ने दी थी। इस संबंध में जब काेच दीपक दीपक नरवरिया और दीपेंद्र दुबे से उनका पक्ष जानने के लिए फाेन लगाया ताे उन्हाेंने फाेन ही नहीं उठाया। उधर, रात 2 बजे के करीब जैसे ही नए यात्री आए ताे उन्हाेंने खिलाड़ियाें काे सीटाें से उठा दिया। मजबूरन सभी काे दाेबारा से टायलेट के पास शरण लेना पड़ी।
राजनीति का अड्डा बना स्टेडियम
भोपाल स्थित टीटी नगर स्टेडियम खेल से ज्यादा खेल की राजनीति पर चल रहा है। कराते अकेडमी सहित कई अकेडमी में सालों से फेडरेशन का विवाद है। बरसों से स्टेडियम में जमे अधिकारी भी अपने से ऊपर के अफसरों और मंत्रियों से अपनी सेटिंग के चक्कर में ही पूरा दिन खर्च कर देते हैं। कराते अकेडमी में भी काई और कियो के बीच विवाद के कारण खिलाड़ियों को खेलने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है। ना तो खिलाड़ियों को स्टेडियम की ओर से कोई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं ना ही उनके पिछले 3 साल से ट्रायल हुए हैं। बता दें कि अब 21 और 22 जून को अकेडमी में कराते के लिए ट्रायल आयोजित किए जा रहे हैं।