इंटरनेशनल डेस्क. दुनिया के सबसे पावरफुल लॉन्च व्हीकल स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट टल गया है। इसे शाम 6 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च होना था। अब रॉकेट को रीसेट करने में कम से कम 48 घंटे लगेंगे। रॉकेट की फर्स्ट स्टेज में आई परेशानी के कारण लॉन्च को टाला गया है। स्टेनलेस स्टील से बने स्टारशिप को दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बनाया है। ये लॉन्चिंग इसलिए अहम थी क्योंकि इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे प्लेनेट पर कदम रखेगा। एलन मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।
मस्क का ट्वीट- सक्सेस मे बी, एक्साइटमेंट गारंटीड
लॉन्च से पहले एलन मस्क ने ट्वीट किया था- 'सक्सेस मे बी, एक्साइटमेंट गारंटीड!' यानी सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है। यहां कई लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर हमें पृथ्वी से 23 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत है? वहीं कुछ का सवाल ये भी होगा कि इतनी दूर जाने में कितना समय लगेगा, इसकी प्रोसेस क्या होगी? इंसान कैसे इस रेड प्लेनेट से वापस आएंगे? स्टारशिप की टेक्नोलॉजी क्या है? स्टारशिप क्या-क्या कर सकती है? तो चलिए एक-एक कर जानते हैं इन सवालों के जवाब...
ये व्हीकल 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जाएगा
स्पेसएक्स के स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली 'स्टारशिप' कहा जाता है। स्टारशिप अब तक का डेवलप दुनिया का सबसे पावरफुल लॉन्च व्हीकल है। ये पूरी तरह से रियूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जाएगा। मस्क 10 अप्रैल को ही स्टारशिप को लॉन्च करना चाहते थे, लेकिन तब US फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी FAA से अप्रूवल नहीं मिल पाया था।
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स्टारशिप लॉन्च 90 मिनट का होगा
ये पूरा लॉन्च 90 मिनट का होगा। टेस्ट फ्लाइट के दौरान, लिफ्ट ऑफ के लगभग 3 मिनट बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और गल्फ ऑफ मैक्सिको में लैंड कर जाएगा। शिप 150 मील यानी 241.40 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पृथ्वी के चक्कर काटेगा और फिर हवाई कोस्ट पर स्पैल्शडाउन होगा। यानी इस टेस्ट में स्टारशिप वर्टिकल लैंडिंग अटेम्प्ट नहीं करेगा। नीचे दिए ग्राफिक्स से लॉन्च की पूरी प्रोसेस को आप आसानी से समझ सकते हैं।
ये नेचुरल H2o और Co2 से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है
स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट मिलकर रियूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाते हैं जो ऑर्बिट में रिफ्यूलिंग करने में सक्षम है। ये सिस्टम मार्स की सरफेस पर मौजूद नेचुरल H2o और Co2 के रिसोर्सेज से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है। इंसानों पर मंगल ग्रह पर भेजने की बात करें तो सुपर हैवी बूस्टर के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और पृथ्वी पर लौट आएगा। स्टारशिप अब पृथ्वी के ऑर्बिट से मंगल की अपनी यात्रा शुरू करेगा। स्टारशिप मंगल ग्रह के वायुमंडल में 7.5km/sec की रफ्तार से प्रवेश करेगा और फिर धीमा हो जाएगा। इस व्हीकल की हीट शील्ड को कई मल्टिपल एंट्री के लिए डिजाइन किया गया है। धीमा होने के बाद स्टारशिप मंगल पर लैंड कर जाएगा। मंगल ग्रह पर पृथ्वी से पहुंचने में करीब-करीब 9 महीने का समय लगेगा और वापस आने में भी इतना ही।
मंगल ग्रह पर बेस बनने से वहां मानवता जीवित रह सकती है
मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर एलन मस्क कहते हैं- 'पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकती है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।' करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा।
स्टारशिप का इस्तेमाल स्पेस टूरिज्म के लिए करना भी है
स्टारशिप का सबसे बड़ा टारगेट इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाना है। इसके अलावा इंसानों को चंद्रमा पर पहुंचाने के नासा के मिशन में भी स्टारशिप लैंडर का काम करेगा। मस्क का प्लान स्टारशिप का इस्तेमाल स्पेस टूरिज्म के लिए करना भी है। मस्क ने एक जैपनीज बिलेनियर युसाकु मेजवा से चंद्रमा के चारों ओर की ट्रिप का वादा किया है।