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इंटरनेशनल डेस्क. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के एक बयान के बाद विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है। पीएम प्रचंड ने कहा कि भारतीय बिजनेसमैन सरदार प्रीतम सिंह ने उन्हें प्रधानमंत्री बनवाने की कोशिश की थी। इस पर विपक्ष का कहना है कि दिल्ली से चुना प्रधानमंत्री स्वीकार नहीं है।
नेपाल के मामलों में भारत के दखल की बात
पीएम प्रचंड ने कहा कि मुझे पीएम बनाने के लिए सरदार प्रीतम सिंह ने कई बार दिल्ली का दौरा किया था और काठमांडू में कई नेताओं के साथ बैठक की थी। उनके इस बयान को वहां की विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल के मामलों में भारत के दखल के तौर पर पेश कर रही हैं।
नेपाल की संसद में उठा मुद्दा
CPN-UML के गठबंधन वाली नेपाल की विपक्षी पार्टी ने पीएम प्रचंड के बयान का मुद्दा संसद में भी उठाया। इसके चलते कई बार संसद की कार्यवाही बाधित हुई। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और CPN-UML के चेयरमैन केपी शर्मा ओली ने कहा कि प्रचंड के बयान ने नेपाल के सम्मान और आजादी को गहरी चोट पहुंचाई है।
'दिल्ली से चुना प्रधानमंत्री नहीं चाहिए'
विपक्षी पार्टी UMLके सांसद रघुजी पंत ने संसद में कहा कि हमें दिल्ली से चुना गया प्रधानमंत्री नहीं चाहिए। विपक्ष के हंगामे के बीच प्रधानमंत्री प्रचंड ने भारतीय बिजनेसमैन सरदार प्रीतम सिंह को लेकर दिए बयान का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि हंगामा करने के लिए मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया है।
पीएम प्रचंड ने दी सफाई
पीएम प्रचंड ने कहा कि मैं अपने बयान के जरिए सिर्फ ये बताना चाहता था कि सरदार प्रीतम सिंह सिर्फ सोशल सर्विस और ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में ही दिलचस्पी नहीं रखते थे। बल्कि वो राजनीति में भी काफी इंटरेस्ट लेते थे।
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भारतीय बिजनेसमैन सरदार प्रीतम सिंह कौन हैं ?
नेपाल के पीएम प्रचंड ने जिस भारतीय बिजनेसमैन सरदार प्रीतम सिंह का जिक्र अपने बयान में किया उन्हें नेपाल में ट्रांसपोर्ट के तरीकों में बड़ा बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। सिंह पहली बार 1958 में अपने दोस्त की बहन की शादी अटैंड करने के लिए नेपाल गए थे। तब वो एविएशन की पढ़ाई करने वाले एक टीनएजर थे। इसी दौरान उन्हें वहां ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करने का आइडिया आया। नेपाल में ये वो दौर था जब वहां रोड बननी शुरू हुई थी। टैक्सी और प्राइवेट गाड़ियों का चलन शुरू हुआ था। पहली बार काठमांडू जाने के ठीक एक साल बाद 1959 में प्रीतम सिंह 3 ट्रक, ड्राइवर और कंडक्टर के साथ लौटे और वहां ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू किया। 1960 के दशक में जब नेपाल में सूखा पड़ा तो प्रीतम सिंह ने लोगों की मदद करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने खाना सप्लाई करने के लिए अपने 150 ट्रक दिए। उनके काम से खुश होकर नेपाल के राजा ने उन्हें 5 हजार रुपए की बक्शीश दी थी।