स्मृति शेष: PAK के परमाणु जनक अब्दुल कदीर का निधन, मैट्रिक तक की पढ़ाई भोपाल में की

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स्मृति शेष: PAK के परमाणु जनक अब्दुल कदीर का निधन, मैट्रिक तक की पढ़ाई भोपाल में की

भोपाल. 10 अक्टूबर को पाकिस्तान (Pakistan) के परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ, अब्दुल कदीर खान (Abdul Qadeer Khan) का 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन पर पूरे पाकिस्तान में शोक जताया जा रहा है। पाकिस्तान (Pakistani nuclear physicist) को परमाणु हथियार संपन्न देश बनाकर दुनिया के लिए सरदर्द देने वाले कदीर खान का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा था। उनका जन्म 1936 में राजधानी भोपाल (Bhopal) में हुआ था। उन्होंने अपनी जिंदगी के शुरुआती 15 साल भोपाल में ही बिताए थे, यहीं से उन्होंने मैट्रिक (Qadeer Khan Education) तक की पढ़ाई की। साल 1947 में बंटवारे के वक्त कदीर का परिवार पाकिस्तान चला गया था।

1998 में पाकिस्तान का पहला परमाणु परीक्षण

पाकिस्तान ने भारत से होड़ करते हुए 1998 में पहले एटम बम (Atom Bomb) का परीक्षण किया था। इस परमाणु परीक्षण कार्यक्रम के जनक कदीर खान थे। उनको परमाणु प्रसार की बात स्वीकार करने के बाद पद से हटा दिया गया था। कादिर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ईरान (Iran), लीबिया और उत्तर कोरिया (North Koriya) को एटम बम बनाने के लिए मदद दी थी। कादिर ने उन्हें यूरेनियम संवर्धन के लिए सप्लाई डिजाइन, हार्डवेयर और मटीरियल उपलब्ध कराने में मदद की थी। अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसी आईएईए ने कहा था कि कादिर न्यूक्लियर ब्लैक मार्केट का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं और विभिन्न देशों के लोगों की इसमें मदद की है।

भुट्टो को मदद का प्रस्ताव दिया

18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण किया। इस पर पाकिस्तान के साथ-साथ अमेरिका ने भी नाराजगी जाहिर की। बताया जाता है कि यही वो समय था, जब पाकिस्तानी हुक्मरान ने भी परमाणु तकनीक हासिल करने के लिए दुनियाभर से मदद मांगना शुरू कर दिया। अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में साल 2018 में छपे एक लेख में कहा गया था, "इस घटना ने डॉ खान के भीतर छिपे राष्ट्रवाद को एक तरह से चुनौती दी और पड़ोसी मुल्क से बराबरी करने में पाकिस्तान की मदद करने की कोशिश करने लगे। इसी सिलसिले में कदीर खान ने सितंबर में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने पाकिस्तान को परमाणु तकनीक दिलाने में मदद का प्रस्ताव दिया।

भारत में बनना चाहते थे करियर

उनके भतीजे राष्ट्रीय हॉकी प्लेयर रहे आगा अब्दुल जब्बार खान ने बताया कि अब्दुल कदीर का परिवार अब भी भोपाल के गिन्नौरी इलाके में रहता है। आजादी के पहले वे संयुक्त परिवार में यहीं रहते थे। वे अब्दुल कदीर खान को याद करते हुए बताते हैं कि पाकिस्तान जाने का उन्हें अफसोस था। वे कहते थे- मुझे हिंदुस्तान में कैरियर बनाना चाहिए था। जब्बार बताते हैं कि वर्ष 1972 में वह आखिरी बार भोपाल आए। उनके बचपन में बिताए हुए पलों को याद करते हुए वे कहते हैं- अब्दुल कदीर बहुत मिलनसार शख्स थे। हॉकी, पतंगबाजी के वे बहुत शौकीन थे।

2004 में कबूला था गुनाह

साल 2004 में खान ने टीवी के सामने आकर कबूला था कि उन्होंने पाकिस्तान में परमाणु हथियार लायक यूरेनियम तैयार करने के बाद इसकी तकनीक ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को बेची। उनके इस कबूलनामे के बाद पाक सरकार ने उन्हें हिरासत में ले लिया। हालांकि, पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति और तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें माफी भी दे दी थी।  

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