ISLAMABAD. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमला करने वाले शख्स का कबूलनामा वीडियो वायरल हो रहा है। इस शख्स का नाम फैजल भट है। इसका कहना है कि उसने इमरान खान पर ये हमला इसलिए किया, क्योंकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के आजादी मार्च के दौरान तेज आवाज में गाने बजाए जा रहे थे और इससे अजान में खलल पड़ रहा था। 3 नवंबर को पाकिस्तान के गुजरांवाला के अल्लाहवाला चौक पर पीटीआई के चेयरमैन इमरान खान पर हमला हुआ था। ये हमला तब हुआ जब इमरान का आजादी मार्च का कारवां इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहा था। तभी फैसल ने इमरान पर गोली चलाई, जो उनके पैर में लगी। वहां मौजूद एक शख्स ने इसे पकड़ लिया।
अजान के दौरान म्यूजिक मेरे जमीर को गंवारा नहीं लगा- आरोपी
इमरान पर हमला करने वाले फैसल ने जो तर्क दिया, वो काफी अजीब है। उसने कहा है कि उधर अजान हो रही थी, इधर ये लोग डैक (म्यूजिक सिस्टम) लगाकर शोर कर रहे थे। इसे मेरे जमीर ने अच्छा नहीं माना। मैंने फैसला कर लिया कि अब इसे छोड़ना नहीं है। फैजल ने यह भी कहा कि इमरान खान लोगों को गुमराह कर रहा था और मुझसे ये चीज देखी नहीं गई और मैंने इसको मारने की कोशिश की। जिस दिन से ये (इमरान खान) लाहौर से चला है, उसी दिन से सोच लिया था। कि मैंने इसे छोड़ना नहीं है। मेरे पीछे कोई नहीं है, मैं अकेला ही इसमें शामिल हूं। मैं घर से अकेला ही अपनी बाइक पर आया था। बाइक मैंने अपने मामू की दुकान पर खड़ी कर दी थी। मेरे मामू की मोटरसाइकल की दुकान है। हालांकि, फैजल का ये बयान पाकिस्तान की कोर्ट में कहां तक ठहरता है, ये बताना अभी बहुत मुश्किल है।
तोषखाना मामले में दोषी साबित हो चुके हैं इमरान
पिछले दिनों पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान के खिलाफ एक बड़ा फैसला सुनाया था। इस फैसले में उन्हें विदेशी यात्राओं के दौरान मिले तोहफों को नियमों के खिलाफ बेचने और इससे फायदा कमाया था। इसी फैसले के बाद पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा था कि अब इमरान खान की संसद की सदस्यता भी रद्द हो जाएगी और वो अगले 5 साल तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। इमरान ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया था। पूर्व पीएम ने ऐलान किया था कि वे मुल्क में जल्द आम चुनाव की मांग को लेकर जनता के बीच जाएंगे और आजादी मार्च निकालेंगे। इमरान ने 28 अक्टूबर से लाहौर से मार्च की शुरुआत की थी। 3 नवंबर को इस मार्च का छठा दिन था, जिसमें इमरान पंजाब प्रांत के वजीराबाद से गुजरने वाले थे. तभी हमला हुआ।
पाकिस्तान की सियासत, सेना से इमरान को उम्मीद
- इमरान खान को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में ताकतवर फौज और ISI का ही हाथ था। जब वो हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुए तो इन दोनों ने ही समर्थन देना बंद कर दिया। इसके बाद साल की शुरुआत में खान की सरकार गिर गई और वो अब खुलेआम फौज और ISI को चैलेंज कर रहे हैं।