रूस-यूक्रेन जंग में 27 लाख लोग मारे गए, 1.86 करोड़ को घर छोड़ना पड़ा: UN में लाए शांति प्रस्ताव से भारत की दूरी, ये तर्क दिया

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Atul Tiwari
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रूस-यूक्रेन जंग में 27 लाख लोग मारे गए, 1.86 करोड़ को घर छोड़ना पड़ा: UN में लाए शांति प्रस्ताव से भारत की दूरी, ये तर्क दिया

KYIV/MOSCOW. रूस-यूक्रेन युद्ध को शुक्रवार को एक साल पूरा हो गया, लेकिन अब भी यूक्रेनी लड़ाके मैदान में रूसी सेना के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। पिछले साल 24 फरवरी को ही रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ी थी। युद्ध में अब तक 27 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 1.86 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। इस बीच, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अचानक थोपे गए इस युद्ध के लिए रूस को आक्रांता ठहराया है। जेलेंस्की के कार्यालय ने कहा कि युद्ध और भी  विनाशकारी हो सकता है और यूक्रेनी सेना इससे निपटेगी। उधर, रूस ने दोनबास के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र के सभी हिस्सों पर कब्जा करने के लिए अपना अभियान और तेज करते हुए गोलाबारी जारी रखी है। विशेषज्ञों ने भी चेताया कि यह युद्ध अभी सालों तक खिंच सकता है।



इतने सैनिकों की मौत हुई, यूक्रेन को करोड़ों का नुकसान



न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि युद्ध में 18 दिसंबर 2022 तक यूक्रेन के 13 हजार तो रूस के 14094 सैनिकों की मौत हो गई। वहीं यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 फरवरी 23 तक यूक्रेन के 7199 लोग मारे गए और 11 हजार 756 लोग घायल हुए। युद्ध से अब तक यूक्रेन को 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। 12 एयरपोर्ट और 2500 से ज्यादा स्कूल तबाह हो चुके हैं, 1.05 लाख कारें नष्ट हो गईं। दो हजार से ज्यादा दुकानें-शॉपिंग मॉल खत्म हो गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 40 देशों ने यूक्रेन को 9.5 लाख करोड़ की मदद दी है।



यूक्रेन के लोगों कहां शरण लेनी पड़ी



सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार यूक्रेन के 1.86 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। यूक्रेन से सबसे ज्यादा 96 लाख लोगों ने पोलैंड में शरण ली। 28.52 लाख यूक्रेनी लोग रूस, 22 लाख हंगरी तो 16 हजार लोग बेलारूस पहुंचे। यही नहीं, स्लोवाकिया, मॉल्दोवा और रोमानिया में भी हजारों यूक्रेनी रह रहे हैं।



यूएन में यूक्रेन में शांति लाने का प्रस्ताव पास, भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया



संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN जनरल असेंबली) में 23 फरवरी देर रात यूक्रेन में शांति और रूसी सेना की वापसी को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया। यह प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पास हुआ। 141 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। वहीं, 7 देशों बेलारूस, नॉर्थ कोरिया, सीरिया, माली, रूस, इरीट्रिया और निकारागुआ ने रूस का साथ देते हुए प्रस्ताव के खिलाफ वोट वोटिंग की। भारत, चीन और पाकिस्तान सहित 32 देशों ने UN में इस प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वोटिंग के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्वीट किया कि ये प्रस्ताव यूक्रेन के लिए वैश्विक समर्थन का सबूत है। उधर, रूस के UN में एंबेसडर दिमित्री पोलांस्की ने इसे फालतू बताते हुए खारिज किया। उन्होंने ट्वीट किया कि प्रस्ताव शांति नहीं लाएगा, बल्कि इससे जंग भड़काने वालों को हौसला मिलेगा।



यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, जैसा कि महासभा यूक्रेनी संघर्ष के एक साल को बता रही है, इसमें यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से प्रासंगिक सवाल पूछें। क्या हम दोनों पक्षों को स्वीकार्य संभावित समाधान के करीब हैं? क्या कोई भी प्रक्रिया, जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जा सकती है?



यूएन चार्टर का उल्लंघन कर रहा रूस- गुटेरस



संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने रूसी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह हमारी सामूहिक अंतरात्मा का अपमान है। वे हमले की बरसी से पहले 11वें आपातकालीन विशेष सत्र में बोल रहे थे। उधर, यूक्रेन की प्रथम महिला ओलेना जेलेंस्का ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि हमें आजादी से जीने का अधिकार है, जबकि हमें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और मौत दी जा रही है।


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