एलन मस्क के स्पेस टूरिज्म मिशन को झटका, स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट में लॉन्चिंग के बाद विस्फोट, चंद मिनटों में हुए कई टुकड़े

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The Sootr
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एलन मस्क के स्पेस टूरिज्म मिशन को झटका, स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट में लॉन्चिंग के बाद विस्फोट, चंद मिनटों में हुए कई टुकड़े

इंटरनेशनल डेस्क. एलन मस्क के स्पेस टूरिज्म मिशन को झटका लगा। दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्च के बाद गल्फ ऑफ मैक्सिको के ऊपर एक्सप्लोड हो गया। हालांकि, लॉन्चिंग के बाद ही इसमें विस्फोट हो गया। दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट ने टेक्सास के बोका चिका से उड़ान भरी थी। यह स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट था। इससे पहले 17 अप्रैल को भी इसे लॉन्च करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद प्रेशर वाल्व के फ्रीज होने की वजह से इसे रोकना पड़ा था। 



स्टारशिप हुआ फेल, एम्प्लॉइज ने मनाई खुशी



स्पेसएक्स ने कहा- स्टारशिप के पहले फ्लाइट टेस्ट के लिए पूरी स्पेसएक्स टीम को बधाई। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं। अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगी। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी स्पेसएक्स हेडक्वार्टर में एम्प्लॉइज खुशी मनाते दिखाई दिए, क्योंकि रॉकेट का लॉन्चपैड से उड़ना ही बड़ी सफलता है।



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स्पेसशिप की मदद से इंसान दूसरे ग्रह पर कदम रखेंगे



ये लॉन्चिंग इसलिए अहम थी, क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।



ये भी कर सकता है स्टारशिप...




  • पेलोड डिलीवरी


  • मून मिशन्स

  • अर्थ-टु-अर्थ ट्रांसपोर्टेशन

  • इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन



  • क्या है स्टारशिप रॉकेट?



    स्पेसएक्स के स्टारशिप अंतरिक्ष यान और सुपर हेवी रॉकेट को सामूहिक रूप से स्टारशिप का नाम दिया गया है। स्टारशिप दोबारा इस्तेमाल किया जा सकने वाला अंतरिक्ष यान है, जो क्रू और कार्गो दोनों को पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा, मंगल और उससे आगे ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्च वाहन होगा। रॉकेट की ऊंचाई 120 मीटर और व्यास 9 मीटर है, जबकि इसकी पेलोड क्षमता 100 से 150 टन है।



    ये नेचुरल H2o और Co2 से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है



    स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट मिलकर रियूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाते हैं जो ऑर्बिट में रिफ्यूलिंग करने में सक्षम है। ये सिस्टम मार्स की सरफेस पर मौजूद नेचुरल H2o और Co2 के रिसोर्सेज से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है। इंसानों पर मंगल ग्रह पर भेजने की बात करें तो सुपर हैवी बूस्टर के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और पृथ्वी पर लौट आएगा। स्टारशिप अब पृथ्वी के ऑर्बिट से मंगल की अपनी यात्रा शुरू करेगा। स्टारशिप मंगल ग्रह के वायुमंडल में 7.5km/sec की रफ्तार से प्रवेश करेगा और फिर धीमा हो जाएगा। इस व्हीकल की हीट शील्ड को कई मल्टिपल एंट्री के लिए डिजाइन किया गया है। धीमा होने के बाद स्टारशिप मंगल पर लैंड कर जाएगा। मंगल ग्रह पर पृथ्वी से पहुंचने में करीब-करीब 9 महीने का समय लगेगा और वापस आने में भी इतना ही।


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