भारतीय मूल के सुरेंद्रन के पटेल अमेरिका में बने जज, कभी गरीबी से लड़ते हुए बनाई थी बीड़ी, होटल में हाउसकीपिंग भी की 

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The Sootr
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भारतीय मूल के सुरेंद्रन के पटेल अमेरिका में बने जज, कभी गरीबी से लड़ते हुए बनाई थी बीड़ी, होटल में हाउसकीपिंग भी की 

इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिका में बसे केरल के रहने वाले सुरेंद्रन के पटेल, जिन्होंने टेक्सास के फोर्ट बेंड काउंटी में 240वें न्यायिक जिला न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 51 साल के Surendran K Pattel की सफलता की चर्चा हर तरफ हो रही है। लेकिन उन्होंने दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और इच्छा शक्ति से इस पद को हासिल किया है। सुरेंद्रन एक जमीनी शख्स हैं। उन्होंने गरीबी से लड़ते हुए बीड़ी बनाने से लेकर होटल में हाउसकीपिंग जैसे काम भी किए। इसके पीछे उनका मकसद अपनी पढ़ाई को आगे ले जाना था। सुरेंद्रन ने कहा कि अगर हम जिंदगी में अपने नजरिए को ऊंचा रखते हैं तो उसका असर किस तरह से हमारे भविष्य पर पड़ता है।



गरीबी के चलते छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई, बनानी पड़ी बीड़ी



सुरेंद्रन के पटेल के पिता कासरगोड के सुदूर बलाल गांव में दिहाड़ी मजदूर थे। दसवीं कक्षा के बाद सुरेंद्रन को कुछ समय के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद एक साल तक उन्होंने बीड़ी बांधने वाले के तौर पर काम किया। अगले साल मैंने प्री-डिग्री कोर्स के लिए एलेरिटाट्टू के सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया।



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सुरेंद्रन की पत्नी को मिला था अमेरिका में स्थाई वीजा



सुरेंद्रन ने साल 1992 में पैयन्नूर कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद साल 1996 में होसदुर्ग में वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की, जिसे उन्होंने नौ साल तक जारी रखा और बाद में अपनी पत्नी सुभा के एक अस्पताल में नर्स के रूप में शामिल होने के बाद नई दिल्ली आ गए। सुरेंद्रन ने तीन साल तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। दरअसल, सुरेंद्रन की पत्नी को अमेरिका में एक प्रमुख चिकित्सा सुविधा में काम करने के लिए चुना गया था और उन्हें स्थायी निवासी वीजा प्राप्त हुआ, जिसके बाद सुरेंद्रन 2007 में टेक्सास के ह्यूस्टन चले गए। पटेल ने टेक्सास में बार की परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में इसे पास कर लिया।



विरोधियों ने उच्चारण, जन्म स्थान पर किया हमला, पर नहीं मानी हार



सुरेंद्रन ने ह्यूस्टन लॉ सेंटर विश्वविद्यालय में एलएलएम की परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया और साल 2011 में इसे पास कर लिया। उन्होंने परिवार कानून, नागरिक और वाणिज्यिक मुकदमेबाजी, रियल एस्टेट, आपराधिक रक्षा आदि सहित क्षेत्रों में अपनी खुद की कानूनी फर्म के जरिए प्रैक्टिस शुरू की। सुरेंद्रन के लिए यह सब इतना आसान नहीं था और इस बीच उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अपने नामांकन को सुरक्षित रखते हुए सुरेंद्रन ने डेमोक्रेटिक पार्टी प्राइमरी में सिटिंग जज के साथ प्रतिस्पर्धा में रिपब्लिकन नॉमिनी को हरा दिया। पटेल ने 'फर्म ऑन लॉ, फेयर ऑन जस्टिस' के नारे के साथ चुनाव लड़ा और न्याय तक समान पहुंच के मुद्दे पर प्रकाश डाला। सुरेंद्रन ने कहा कि उन्हें विरोधियों के कई नकारात्मक प्रचार का सामना करना पड़ा। क्योंकि उनके उच्चारण, जन्म स्थान आदि पर भी हमला किया गया था।


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