दुनिया का पहला परमाणु हमला, जिसने तबाह कर दिया था हिरोशिमा, जो जहां था वहीं जल गया, 80 हजार से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत

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Pratibha Rana
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दुनिया का पहला परमाणु हमला, जिसने तबाह कर दिया था हिरोशिमा, जो जहां था वहीं जल गया, 80 हजार से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत

इंटरनेशल डेस्क. 6 अगस्त 1945 का वह दिन, जब दुनिया में पहली बार जापानी शहरों पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराकर तबाही मचा दी। एक मिनट में 'लिटिल ब्वॉय' नाम के परमाणु बम ने धमाके के साथ पूरे हिरोशिमा शहर को तबाह कर दिया। अमेरिका का यह परमाणु बम 43 सेकंड बाद जमीन से करीब 585 मीटर की ऊंचाई पर फटा था। बम को हिरोशिमा के एक सबसे व्यस्त पुल ‘आईओई’ पर गिराया गया था, लेकिन तेज हवा से 240 मीटर भटक गया। यह बम एक अस्पताल के ऊपर जा गिरा। विस्‍फोट से वहां मशरूम के शेप में एक बड़ा आग का गोला उठा और आस-पास का तापमान 3000 से 4000 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। विस्फोट से वहां इतनी तेज हवा चली कि 10 सेकंड में ही ये ब्लास्ट पूरे हिरोशिमा में फैल गया। लोग धूं-धूंकर जल रहे थे। कई लोग तो जहां थे, वहीं भाप बन गए। महज पांच सेकंड के भीतर ही 80 हजार लोगों की मौत हो गई। दूसरा हमला नागासाकी पर 9 अगस्त को हुआ। बताया जाता है कि दोनों हमले से करीब 1,30,000 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इससे पूरी दुनिया में तहलका मच गया था। यह वह दिन है, जिसे याद कर हर कोई सहम जाता है। हिरोशमा-डे (6 अगस्त) के अवसर पर एक खास रिपोर्ट...



तीन दिन में दो परमाणु बमों से हमला, 1 लाख 30 हजार से ज्यादा की मौत




  • पहला हमला : अमेरिका ने पहला परमाणु बम 'लिटिल ब्वॉय' 6 अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा पर गिराया था। इस दिन सुबह करीब 8 बजे लोग अपने-अपने दफ्तर जा रहे थे तो कोई जाने की तैयारी में मशगुल था। इसी दौरान आसमान में ऐसा धमाका हुआ जिसे देखकर लोगों को लगा जैसे सूरज फट गया हो। कुछ ही देर में पूरा शहर लाशों के ढेर में तब्दील हो गया। हिरोशिमा में 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।


  • दूसरा हमला : हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम की आहद अभी थमी ही नहीं थी 9 अगस्त को अमेरिका ने नागाशाकी शहर पर परमाणु बम ‘द फैट मैन’ गिरा दिया गया। ये बम सुबह 11 बजे शहर के ऊपर गिराया गया था, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई। 



  • काली बारिश...



    इन दोनों धमाकों के बाद रेडियोएक्टिव विकिरण के संपर्क में आने और विस्फोटों के बाद हुई ‘काली बारिश’ ने भी हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इन दोनों शहरों में आज भी इन धमाकों को असर नजर आता है। 



    अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर जापानी सेना के हमले का बदला



    हिरोशिमा पर अमेरिकी परमाणु हमले को 1941 के अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर किए गए जापानी सेना के हमले का बदला माना गया है। अमेरिका को उम्मीद थी कि परमाणु हमले के बाद जापान सरेंडर कर देगा। नागासाकी पर हमले के 6 दिन बाद जापान ने बिना किसी शर्त समर्पण करने की घोषणा भी कर दी। इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध भी आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया, लेकिन दो शहर पूरी तरह बर्बाद हो गए। 



    12 साल की वो लड़की, जिसने देखी ऐसी तबाही...



    अगस्त 1945 की यह घटना जापान के इतिहास में सबसे विनाशकारी साबित हुई। हिरोशिमा में जो लोग जीवित बचे, वो आज भी उस हमले के बारे में सोचकर कांप उठते हैं। सदाई कसौका नाम की एक लड़की, जो उस परमाणु हमले के वक्त 12 साल की थी, अब वह 90 वर्ष की हो चुकी हैं, लेकिन जब भी परमाणु बम के हमले के बारे में सोचती है तो भयावह हालात और अपनों को खोने का दर्द बयां करने लगती हैं। एक इंटरव्यू में मई 2023 को दिए इंटरव्यू में सदाई कसौका ने बताया था कि परमाणु बम का विस्‍फोट एक चमकीले नारंगी प्रकाश की तरह लग रहा था, वह ऐसा था, जैसे साल का पहला सूर्योदय हो रहा हो। सदाई ने बताया कि वो द्वितीय विश्व युद्ध का अंतिम दौर था। 6 अगस्त, 1945 को अमेरिका द्वारा सुबह सवा 8 बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरा दिया गया। सदाई कहती हैं कि मैं अपनी दादी के साथ घर में अकेली थी। जब धमाका हुआ तो उस विस्फोट ने घरों की मोटी-मोटी दीवारों को भी गिरा दिया और शीशे चटककर बिखर गए। हम दोनों जान बचाने के लिए एक जगह पर छिप गए। एक पड़ोसी ने हमें बताया कि पूरे शहर में आग लगी हुई है।  



    'माता-पिता जिंदा नहीं बच सके'



    सदाई कहती हैं कि घंटों तक मुझे नहीं पता चला कि मेरे माता-पिता बच गए हैं या नहीं। जब मेरा भाई मेरे पिता के शव को घर लाया, तो वह जीवित था, लेकिन वह इतनी बुरी तरह से जल गया था कि मैं उसे पहचान ही नहीं पाई। सदाई ने कहा, मेरा भाई एकदम काला नजर आ रहा था। उसकी आंखें बाहर की ओर निकल रही थीं। बहुत देर बाद मैंने भाई को उनकी आवाज से पहचाना। उन्होंने कहा- 'मुझे पानी दो' और फिर उसने मुझे मां की तलाश के लिए वापस जाने के लिए कहा। सदाई ये बताते हुए लंबी सांस लेने लगीं। उन्‍होंने आगे कहा, किसी ने मुझसे कहा कि तुम्हें उन्हें पानी नहीं देना चाहिए, इसलिए मैंने उन्हें पानी नहीं दिया, लेकिन इस बात का मुझे अब भी गहरा अफसोस है। सदाई के पिता भी दो दिन चल बसे। 



    इसलिए मनाया जाता है हिरोशिमा दिवस



    हिरोशिमा और नागाशाकी पर गिराए गए परमाणु बम गिराने की ये तारीखें इतिहास के पन्नों में काले दिन के रूप में दर्ज हैं। हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा-डे के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य शांति की राजनीति को बढ़ावा देना है। हिरोशिमा पर बम हमलों के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिया मनाया जाता है। हिराशिमा दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां परमाणु हमला हुआ था। 



    परमाणु हथियार विश्‍व के लिए बड़ा खतरा, रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई चिंता



    इन हमलों के बाद दुनियाभर में ये मांग उठी कि परमाणु हथियारों को फिर कहीं इस्‍तेमाल न हो। नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के अंतर्राष्ट्रीय अभियान (ICAN) ने इस बात पर जोर देता है कि परमाणु हथियारों को खत्म कर देना चाहिए। पिछले साल यूक्रेन के खिलाफ छिड़े रूस के युद्ध में को देखकर कई लोग ये आशंका जताते हैं कि ये युद्ध परमाणु हमलों तक न पहुंच जाए। 



    अब ऐसे दिखता है हिरोशिमा



    हिरोशिमा शहर जापान के सबसे बड़े द्वीप होंशू में है। आज यह एक अच्छा खासा विस्तारित शहर है। आबादी काफी घनी बसी हुई है, लेकिन सिस्टमेटिक डेवलपमेंट और जल स्रोतों के बेहतर मैनेजमेंट के कारण अब हिरोशिमा काफी सुंदर नजर आता है। जापान राजधानी टोक्यो के साथ ही चीन, ताइवान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के लिए अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी यहां से सीधे उड़ान भरती हैं।

     


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