ISTANBUL. कड़ाके की ठंड के बीच तुर्की और सीरिया में भूकंप प्रभावितों को रेस्क्यू का काम जारी है। जैसे-जैसे इमारतों का मलबा हटाया जा रहा है, मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा है। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, मृतकों का जो आंकड़ा बढ़कर 24 हजार को पार कर गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भूकंप के कारण जान गंवाने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। इस वक्त हजारों लोग भूकंप प्रभावित इलाकों में अस्पताल में भर्ती हैं। अब भी कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। तुर्की में 6 फरवरी को तड़के 4.17 बजे 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था।
70 देशों ने भेजी मदद, भारत ने फील्ड हॉस्पिटल बनाया
तुर्किए और सीरिया की मदद के लिए भारत समेत 70 कई देश आगे आए हैं। भारत ने मेडिकल टीम के साथ ही NDRF की टीमें तुर्किए भेजी हैं। वर्ल्ड बैंक ने तुर्की को 1.78 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया है। अमेरिका ने तुर्की और सीरिया की मदद के लिए 85 मिलियन डॉलर की सहायता की घोषणा की है।
भारत ने तुर्किए की मदद के लिए 'ऑपरेशन दोस्त' नाम से मिशन लॉन्च किया है। भारत ने NDRF की 3 टीमें तुर्किए भेजी हैं। इसके साथ ही भारतीय सेना की एक मेडिकल टीम भी इस वक्त तुर्किए में ही है। भारतीय सेना ने हताए शहर में फील्ड हॉस्पिटल बनाया है।
एक के बाद एक 5 झटकों से दहला तुर्की
तुर्किए में भूकंप का पहला झटका 6 फरवरी की तड़के 4.17 बजे आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 थी। भूकंप का एपी सेंटर दक्षिणी तुर्की का गाजियांटेप था। इससे पहले की लोग इससे संभल पाते कुछ देर बाद ही भूकंप का एक और झटका आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.5 थी। भूकंप के झटकों का यह दौर यहीं नहीं रुका। इसके बाद 6.5 तीव्रता का एक और झटका लगा। इन झटकों ने मालाटया, सनलीउर्फा, ओस्मानिए और दियारबाकिर समेत 11 प्रांतों में तबाही मचा दी। इसी दिन शाम 4 बजे भूकंप का एक और यानी चौथा झटका आया। बताया जा रहा है कि इस झटके ने ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इसके ठीक डेढ़ घंटे बाद शाम 5.30 बजे 5वां झटका आया।
तुर्किए में भूकंप का पुराना इतिहास
तुर्किए की भौगोलिक स्थिति के चलते यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। 1999 में आए भूकंप में 18 हजार लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, अक्टूबर 2011 में आए भूकंप में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।