तुर्किए-सीरिया में भूकंप से अब तक 28 हजार लोगों की मौत, भारत ने मदद का 7वां प्लेन भेजा, 128 घंटे बाद मलबे से सुरक्षित निकली नवजात

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Atul Tiwari
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तुर्किए-सीरिया में भूकंप से अब तक 28 हजार लोगों की मौत, भारत ने मदद का 7वां प्लेन भेजा, 128 घंटे बाद मलबे से सुरक्षित निकली नवजात

ANKARA/DAMASCUS. तुर्किए-सीरिया में आए भूकंप से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। अब तक 28 हजार लोग जान गंवा चुके हैं। इस बीच भारत ने मदद का सिलसिला जारी रखा है। राहत सामग्री लेकर 7वां प्लेन तुर्किए-सीरिया के लिए रवाना हो चुका है। इस फ्लाइट में भूकंप पीड़ितों के लिए जीवन रक्षक दवाएं, फील्ड हॉस्पिटल,  कंबल और स्लीपिंग मैट जैसी जरूरी चीजें हैं। वहीं, तुर्किए के हताय प्रॉविंस में एक नवजात बच्चा अपने घर के मलबे के नीचे दबा रहा और 128 घंटे बाद जीवित मिला। इस बच्चे का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह उस व्यक्ति की उंगली चूस रहा है, जिसने उसे गोद में ले रखा है।





भारतीय विमान पहले सीरिया जाएगा, फिर तुर्किए





अधिकारियों के मुताबिक, 11 फरवरी शाम को रवाना किया गया 7वां विमान सबसे पहले सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचेगा। यहां राहत सामग्री उतारने के बाद वह तुर्किए के अडाना के लिए रवाना हो जाएगी। इस विमान में 35 टन से ज्यादा राहत सामग्री भेजी गई है, जिसमें से 23 टन से ज्यादा सामग्री सीरिया में और करीब 12 टन तुर्किए पहुंचाई जाएगी। सीरिया को स्लीपिंग मैट, जेनरेटर सेट, सोलर लैंप, तिरपाल, कंबल, आपातकालीन और महत्वपूर्ण देखभाल दवाएं और आपदा राहत सामग्री जैसी राहत सामग्री शामिल हैं।





वहीं, तुर्किए को भेजी गई मदद में भारतीय सेना के फील्ड अस्पताल और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों के लिए आपूर्ति, ईसीजी, पेशेंट मॉनिटर, एनेस्थीसिया मशीन, सिरिंज पंप और ग्लूकोमीटर जैसे मेडिकल इक्विपमेंट शामिल हैं। अधिकारियों के मुताबिक, राहत सामग्री की खेप में कंबल और अन्य राहत सामग्री भी शामिल है। तुर्किए में भारतीय सेना के फील्ड अस्पताल में पहले ही भूकंप में घायल हुए कई लोगों को इलाज दिया जा रहा है। भारत ने तुर्किए में आए भूकंप में मदद देने के लिए ऑपरेशन दोस्त चलाया हुआ है।





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आर्मेनिया ने खोली सीमा





कई ऐसे देश हैं, जिन्होंने तुर्किए के साथ अच्छे संबंध ना होने के बावजूद मदद का हाथ बढ़ाया है। आर्मेनिया भी ऐसे ही देशों मे से एक है। 11 फरवरी को आर्मेनिया और तुर्किये के बीच सीमा द्वार को करीब 30 साल बाद खोला गया और आर्मेनिया के ट्रक भूकंप प्रभावित इलाकों के लिए रवाना हुए। तुर्किए की न्यूज एजेंसी अनादोलु की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन दशकों में ऐसा पहली बार है, जब दोनों देशों ने अपनी सीमाओं को खोला है। तुर्किए के विशेष दूत सेरदार किलिक ने ट्वीट किया कि 100 टन भोजन, पानी समेत मानवीय सहायता लेकर पांच ट्रक अलीकन सीमा से हमारे देश पहुंचे।





एक के बाद एक 5 झटकों से दहला तुर्की





तुर्किए में भूकंप का पहला झटका 6 फरवरी की तड़के 4.17 बजे आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 थी। भूकंप का एपी सेंटर दक्षिणी तुर्की का गाजियांटेप था। इससे पहले की लोग इससे संभल पाते कुछ देर बाद ही भूकंप का एक और झटका आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.5 थी। भूकंप के झटकों का यह दौर यहीं नहीं रुका। इसके बाद 6.5 तीव्रता का एक और झटका लगा। इन झटकों ने मालाटया, सनलीउर्फा, ओस्मानिए और दियारबाकिर समेत 11 प्रांतों में तबाही मचा दी। इसी दिन शाम 4 बजे भूकंप का एक और यानी चौथा झटका आया। बताया जा रहा है कि इस झटके ने ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इसके ठीक डेढ़ घंटे बाद शाम 5.30 बजे 5वां झटका आया।





तुर्किए में भूकंप का पुराना इतिहास





तुर्किए की भौगोलिक स्थिति के चलते यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। 1999 में आए भूकंप में 18 हजार लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, अक्टूबर 2011 में आए भूकंप में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। 



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