WASHINGTON/NEW DELHI. अरुणाचल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास तवांग में भारत-चीन के सैनिकों की झड़प पर अमेरिका ने भारत का साथ दिया है। पेंटागन प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा कि चीन इंडो-पैसिफिक रीजन में अमेरिकी सहयोगियों को जानबूझकर उकसा रहा है। हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पेंटागन के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा विभाग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है। अमेरिका ने एलएसी के पास चीन की ओर से मिलिटराइजेशन और सैन्य बुनियादी ढांचे को भी गलत बताया। पेटांगन प्रेस सचिव राइडर ने कहा कि भारत की ओर से तनाव को कम करने की कोशिश का हम समर्थन करते हैं।
व्हाइट हाउस ने भी स्टेटमेंट जारी किया
अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन ज्यां-पियरे ने कहा कि हम एलएसी की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। यह खुशी की बात है कि दोनों देशों की सेनाएं समय रहते पीछे हट गईं।
भारत-चीन के बीच विवाद बना हुआ है, चीन लगातार घुसपैठ कर रहा है
1 मई 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर आमादा हो गए। इसके बाद विवाद बढ़ गया। झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इनमें कई चीनी सैनिक नदी में बह गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार जवानों के मौत की पुष्टि की। अमेरिका की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में 45 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे। अक्टूबर 2021 में अरुणाचल में ही दोनों सेनाएं आमने सामने आई थीं। तब भारतीय सेना ने चीन के कई सैनिकों को घंटों बंधक बना कर रखा था। बातचीत के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
भारत-चीन के बीच तनाव कम करने की क्या कोशिशें?
15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया पूरी कर ली। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के संवेदनशील सेक्टर में दोनों देशों के 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय तक तनाव रहा और चीन की सेना ने सीमा के कई ऐसे इलाकों में घुस कर कैंप बना लिए थे जो साझा गश्त के दायरे में आते थे। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की वार्ता के बाद सितंबर 2022 में दोनों देशों की सेनाएं गोगरा और हॉट स्प्रिंग इलाके से पीछे हटी थी।
अरुणाचल को अपना हिस्सा बताता है चीन
चीन के साथ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत का सीमा विवाद है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। उसका कहना है कि यह तिब्बत का अंग है। 1962 में यहां हमला कर उसने अरुणाचल के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। पिछले साल उसने अरुणाचल की सीमा से लगे 15 स्थानों के नाम बदल दिए थे।