विनोद पातरिया, BETUL. बैतूल के बरसाली में घरों की पहचान बेटियों के नाम से है। गांव के अधिकांश घरों में लाडो अभियान के तहत बेटियों की नेमप्लेट लगाई गई है। बैतूल से शुरू हुआ ये अभियान अब देश के 14 राज्यों के 120 गांवों तक पहुंच गया है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बैतूल में 2015 में लाडो अभियान की शुरुआत की गई। बैतूल के एक घर से शुरू हुआ अभियान वार्ड के हर घर तक पहुंचा। बैतूल के बरसाली, खंडरा, बेटियां, कान्हावाड़ी गांव में घरों के बाहर बेटियों की नेमप्लेट लगाई गई है।
बेटियों के नाम से होती है घरों की पहचान
बैतूल के बरसाली और अन्य गांवों में घरों की पहचान अब घर के मुखिया के नाम से नहीं होती बल्कि बेटियों के नाम से होती है। बाहर से जब कोई गांव में आते हैं और बेटियों को इतना मान-सम्मान और महत्व मिलता देखते हैं तो वे भी बेहद खुश हो उठते हैं। इस सकारात्मक पहल से गांव में एक बड़ा बदलाव ये हुआ कि अब बेटियों को केवल अपने परिवार में ही नहीं बल्कि पूरे गांव में एक जैसा मान-सम्मान मिलता है।
देशभर में हर घर में मिले बेटियों को पहचान
लाडो अभियान के संचालक समाजसेवी अनिल यादव बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच लाने और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए लम्बे समय से काम कर रहे हैं। अनिल यादव ने बताया कि 2015 में अपनी बेटी के जन्मदिन पर लाडो अभियान की शुरू की। अपने घर में पिता के नाम की नेमप्लेट की जगह बेटी के नाम की नेमप्लेट लगाई। ये देखकर वार्ड के लोग भी प्रेरित हुए। वार्ड में लोगों के घर में भी बेटियों के नाम की नेमप्लेट लगाई। इसके बाद गांवों और अब देश के 14 राज्यों में 120 गांवों में ये अभियान पहुंच चुका है।
अनिल निशुल्क लगाते हैं बेटियों की नेमप्लेट
अनिल यादव ने बताया कि वे स्वयं के खर्च पर बेटियों की नेमप्लेट घरों में लगाते हैं। इससे समाज में न केवल एक सकारात्मक बदलाव आया है बल्कि घरों की पहचान ही अब बेटियों के नाम से हो गई है।