टाइटन पनडुब्बी का मलबा छह दिन बाद अटलांटिक महासागर से निकाला, टुकड़ों में मानव अवशेष मिले, टाइटैनिक का मलबा देखने गए थे 5 टूरिस्ट

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Pratibha Rana
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टाइटन पनडुब्बी का मलबा छह दिन बाद अटलांटिक महासागर से निकाला, टुकड़ों में मानव अवशेष मिले, टाइटैनिक का मलबा देखने गए थे 5 टूरिस्ट

Portland. टाइटैनिक जहाज के मलबे को दिखाने गई टाइटन सबमरीन का मलबा छह दिन बुधवार (28 जून) को मिल गया। इसे कई टुकड़ों में कनाडा के सेंट जॉन पोर्ट पर लाया गया। 18 जून को यह सबमरीन अटलांटिक महासागर में 12000 फीट नीचे गई थी। उसके बाद लापता हो गई। चार दिन बाद 22 जून को इसका मलबा टाइटैनिक जहाज से 1600 मीटर दूर मिला था। इसमें चार टूरिस्ट और एक पायलट सवार था।



हादसे की वजह तलाशने में जुटे विशेषज्ञ



जांच के बाद विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया जा रहा है कि यह हादसा विस्फोट की वजह से हो सकता है। जानकारी अनुसार, US कोस्ट गार्ड के अधिकारियों ने सबमरीन के मलबे में मानव अवशेष मिलने की बात कही है। इन अवशेषों को मेडिकल टीम के पास जांच के लिए भेजा जाएगा। पनडुब्बी के मलबे की फोरेंसिक जांच कर ये पता लगाने की कोशिश की जाएगी की उसमें विस्फोट क्यों हुआ था।



पांच हिस्से बरामद किए 



बीबीसी के मुताबिक, पनडुब्बी के मलबे में लैंडिंग फ्रेम, रियर कवर सहित 5 हिस्से बरामद किए गए हैं। कोस्ट गार्ड ने बताया कि पनडुब्बी का काफी सारा मलबा अभी टाइटैनिक जहाज के पास है। उसे भी जल्द ही निकालने की कोशिश की जाएगी। 



टाइटैनिक जहाज के मलबे के 1600 फीट दूर हुआ हादसा



टाइटन पनडुब्बी 18 जून की शाम करीब 5:30 बजे (भारतीय समयानुसार) अटलांटिक महासागर में छोड़ी गई थी। ये 1:45 घंटे बाद लापता हो गई थी। पनडुब्बी में पायलट समेत पांच टूरिस्ट शामिल थे। चार दिन तक सबमरीन को ढूंढने की कोशिश की गई, जिसके बाद 23 जून को टाइटैनिक जहाज के मलबे के 1600 फीट दूर इसका मलबा मिला। अनुमान लगाया गया था कि पनडुब्बी में विस्फोट हुआ था।



रडार पर मिले थे विस्फोट के सिग्नल



अमेरिकी नेवी के एक अफसर के मुताबिक, टाइटन पनडुब्बी की आखिरी लोकेशन टाइटैनिक जहाज के पास से ही रिकॉर्ड की गई थी। लापता होने के कुछ देर बाद रडार पर विस्फोट से जुडे़ कुछ सिग्नल भी मिले थे। ये जानकारी तुरंत कमांडर के साथ शेयर कर दी गई थी, जिससे सर्च ऑपरेशन में मदद मिली।



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पनडुब्बी के लिए कहां की गई… सर्चिंग 



टाइटैनिक जहाज का मलबा अटलांटिक ओशन में मौजूद है। ये कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के सेंट जोन्स से 700 किलोमीटर दूर है। मलबा महासागर में 3800 मीटर की गहराई में है। पनडुब्बी का ये सफर भी कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से ही शुरू होता है। ये दो घंटे में मलबे के पास पहुंच जाती है। अमेरिका-कनाडा की रेस्क्यू टीम समुद्र में 7,600 स्क्वायर मील के एरिया में सर्चिंग कर रही थी। पानी में सोनार-बॉय भी छोड़े गए थे, जो 13 हजार फीट की गहराई तक मॉनिटर करने में सक्षम हैं। इसके अलावा कॉमर्शियल जहाजों की भी मदद ली गई थी।



टाइटैनिक का मलबा देखने जाने के लिए इतनी फीस 



पनडुब्बी ओशन गेट कंपनी की टाइटन सबमर्सिबल है। इसका साइज एक ट्रक के बराबर है। ये 22 फीट लंबी और 9.2 फीट चौड़ी है। पनडुब्बी कार्बन फाइबर से बनी है​​​​​​। टाइटैनिक का मलबा देखने जाने के लिए प्रति व्यक्ति दो करोड़ रुपए फीस है। ये सबमरीन समुद्र में रिसर्च और सर्वे के भी काम आती है। इस सबमरीन को पानी में उतारने और ऑपरेट करने के लिए पोलर प्रिंस वेसल का इस्तेमाल किया जाता है।


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