अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना लौटने वाली है, जिसके बाद से आम जनता आत्मनिर्भर हो रही है। हर साल तालिबान आतंकियों के हमले से हजारों की संख्या में लोगों की मौत होती हैं। इन्में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे होते हैं।
अपनी सुरक्षा के लिए उठाएं हथियार
आतंकियों के निशाने पर रहने वाले अल्पसंख्यक, कमजोर और पीड़ितों ने आतंक के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं। लोग अपनों की सुरक्षा में खड़े हो रहे हैं। सरकार के भरोसे न बैठकर गांव-गांव में राइफलें और रॉकेट लॉन्चर के साथ निजी सेनाएं तैनात हो रही हैं। कई समूह हथियारों के साथ अफगानी सैनिकों को अपना समर्थन दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि वे सेना के कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। दरअसल, 3.9 करोड़ की आबादी वाले अफगानिस्तान में हजारा समुदाय सबसे ज्यादा आतंकियों के निशाने पर रहा।अब यह समुदाय अपनी ताकत पर भरोसा करने लगा है। हजारा समुदाय के नेता जुल्फिकार ओमिद ने कहा है कि 800 लोगों का हथियारबंद समूह लोगों की सुरक्षा के लिए खड़ा हो गया है। उन्होंने इसे आत्म सुरक्षा समूह नाम दिया है।
नए ठिकानों पर कब्जा
लोग बताते हैं कि अमेरिकी सेना के लौटने पर आतंकियों ने कई जिलों में ठिकाना बना लिया है। आए दिन हमले होने लगे हैं। इनमें आम लोग मारे जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यहां आतंकी हमलों में 20 साल में 47 हजार लोग मारे गए हैं। 2005 से 2019 तक 26 हजार बच्चे भी जान गंवा चुके हैं।