चीन ने अपने कब्जे वाले तिब्बत में शुक्रवार को पहली इलेक्ट्रिक बुलेट ट्रेन चलाई है। ये ट्रेन तिब्बत की राजधानी ल्हासा से नियांगची तक चलेगी। भारत के लिए ये एक अलर्ट है, क्योंकि नियांगची शहर की दूरी अरुणाचल प्रदेश की सीमा (मेचुका) से सिर्फ 119 किलोमीटर है।
ट्रेन नौ स्टेशनों पर रुकेगी
चीन की इलेक्ट्रिक बुलेट ट्रेन 435.5 किलोमीटर का सफर तक करेगी। इसका उद्घाटन कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया है। इसकी टॉप स्पीड 160 किलोमीटर है। अभी इसके लिए सिंगल लाइन ही डाली गई है। ट्रेन 9 स्टेशनों पर रुकेगी, जिसमें ल्हासा, शन्नान और नियांगची स्टेशन भी शामिल है। सड़क मार्ग से ल्हासा से नियांगची जाने में लगने वाले समय की तुलना करें तो बुलेट ट्रेन समय से करीब 1.5 घंटे पहले पहुंचा देगी। इसके अलावा शन्नान से नियांगची जाने में भी 2 घंटे कम समय लगेगा।
ब्रह्मपुत्र नदी को 16 बार क्रॉस करेगी ट्रेन
ट्रेन 47 टनल्स और 121 पुल से होकर गुजरेगी। इसके अलावा ये ट्रेन ब्रह्मपुत्र नदी को 16 बार क्रॉस करेगी। यदि टनल और पुल की दूरियों को मिलाएं तो रेलवे लाइन की टोटल दूरी के 75 प्रतिशत होगा। ट्रेन 10 मिलियन टन तक का वजन ले जाने में सक्षम है। चीन को उम्मीद है कि इससे लोगों को यात्रा करने में सुविधा तो हीगी ही, साथ ही व्यापार में भी बढ़ोतरी होगी।
दूसरा रेलवे प्रोजेक्ट
तिब्बत में चीन का ये दूसरा रेलवे प्रोजेक्ट है। इससे पहली चीन क्विंघई से लेकर ल्हासा तक रेलवे प्रोजेक्ट लॉन्च कर चुका है। नवंबर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत में बिछाई जाने वाली रेलवे लाइन को लेकर अपना विजन बताया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा करने से हमारी बॉर्डर को मजबूती मिलेगी।