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BILASPUR. 14 साल पहले हुए बालको चिमनी हादसे पर लगातार सुनवाई चल रही है। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपियों की याचिका खारिज करते हुए 3 चीनी अफसरों समेत 5 पर मुकदमा चलाने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने ट्रायल कोर्ट को सालभर के भीतर सुनवाई पूरी करने को कहा है।
2009 में चिमनी ढहने से हुई थी 40 मजदूरों की मौत
बालको में 1200 मेगावाट पावर प्लांट की निर्माणाधीन चिमनी 23 सितंबर 2009 को ढह गई थी, जिसमें 40 मजदूरों की मौत हो गई थी। बता दें कि पांचों ने निचली अदालत द्वारा विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने को चुनौती दी थी। चिमनी हादसे में बालको पुलिस ने तब बालको, जीडीसीएल और सेपको कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजरों समेत 17 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। 12 आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई, बाद में उन्हें जमानत भी मिल गई थी।
मामला निचली अदालत में विचाराधीन
बालको मामले के आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304/34 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। ये भी निचली अदालत में विचाराधीन है। कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के खिलाफ 2010 में चीनी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर वू छूनान, इंजीनियर वांग क्यूंग और इंजीनियर ल्यू जांक्शन के अलावा एजीएम दीपक नारंग और ट्रेनी इंजीनियर अनूप महापात्रे ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर आरोप तय करने को अनुचित बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने इन अधिकारियों को बताया था जिम्मेदार
छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से उप महाधिवक्ता ने हादसे के लिए बालको, सेपको और जीडीसीएल के अधिकारियों को जिम्मेदार बताया था। तर्क दिया था कि चिमनी के निर्माण मापदंडों के अनुसार नहीं करने और मॉनिटरिंग में लापरवाही बरतने के कारण 40 मजदूरों की जान चली गई थी। जांच में भी ये प्रारंभिक तौर पर जिम्मेदार पाए गए थे। हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने सुनवाई पूरी होने के कारण फैसला सुरक्षित रखा था। शुक्रवार को दिए गए फैसले में हाईकोर्ट ने पांचों अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी है।