अनूपपुर की उपेक्षा को कांग्रेस बना सकती हैं मुद्दा, जिले की तीनों विधानसभा में 2018 का परिणाम कांग्रेस दोहराएगी या बीजेपी होगी सफल

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Jitendra Shrivastava
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अनूपपुर की उपेक्षा को कांग्रेस बना सकती हैं मुद्दा, जिले की तीनों विधानसभा में 2018 का परिणाम कांग्रेस दोहराएगी या बीजेपी होगी सफल

राजेश शुक्‍ला, ANUPPUR. जिले की तीन विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस व बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेसी सिर्फ दो विधानसभा सीटों में अपने उम्मीदवार की घोषणा की है। अनूपपुर में बीजेपी से बिसाहूलाल सिंह तो कांग्रेस ने नए उम्मीदवार रमेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा हैं। पुष्पराजगढ़ विधानसभा से कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक फुन्देलाल लाल सिंह को एक बार फिर मौका दिया है तो वहीं बीजेपी ने यहां भी नए चेहरे जनपद अध्यक्ष हीरा सिंह श्याम को सामने खड़ा किया है। बीजेपी ने कोतमा सामान्य से पिछड़ा वर्ग से दिलीप जायसवाल को एक बार फिर मैदान में उतारकर हारे हुए उम्मीदवार पर अपना विश्वास जताया है। 2013 के विधानसभा चुनाव में दिलीप जायसवाल को वर्तमान विधायक सुनील सराफ कांग्रेस से शिकस्त मिली थीं। वहीं कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की हैं।

बीजेपी का शहडोल पर ध्यान, अनूपपुर पर नहीं

बीजेपी सिर्फ शहडोल की दो सीटों को साधने में लगी हुई है, जबकि अनूपपुर की तीन सीटों पर उसका ध्यान नहीं है, लगातार मुख्यमंत्री शहडोल दौरा कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान शहडोल को कई सौगातों की घोषणा की थी किंतु अनूपपुर के लिए उन्होंने कोई घोषणा नहीं की। जिससे अनूपपुर जिले के लोगों में बीजेपी को लेकर असंतोष भी देखा जा रहा है। चाहे वह नागपुर के लिए सीधी ट्रेन सेवा हो या फिर इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय के माध्यम से मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज के भूमि आवंटन का मामला हो, इन सभी प्रयास पर मुख्यमंत्री ने कोई नहीं लिया जाना चुनाव के मुद्दे हो सकते हैं। बीजेपी की बेरूखी का नतीजा यह रहा कि पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो पंचवर्षीय से कांग्रेस को भारी अंतर से विजय मिल रही है।

अनूपपुर विधानसभा

अनूपपुर विधानसभा में बीजेपी को वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव करारी शिकस्त देते हुए कांग्रेस के बिसाहूलाल सिंह विजय हुए थे। जिसका नतीजा कांग्रेस सत्ता में आई तो दिग्विजय सिंह ने किसी अनुभवी विधायकों को मंत्री नहीं बनने दिया जिसका नतीजा यह रहा कि कम समय में कांग्रेस की सरकार गिर गई। इसमें बिसाहूलाल सिंह ने कांग्रेस से नाराज होकर नाता तोड़ बीजेपी के हो गये। जहां उपचुनाव में बिसाहूलाल सिंह रिकॉर्ड मतों से विजय हुए। लगभग 3 वर्षों के कार्यकाल में उपलब्धि के नाम पर सत्ता पक्ष के पास कुछ खास बताने को नहीं है ऐसे में बदलाव की बयार का असर हो तो इस पर कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वैसे कहा जाता है कि बीजेपी उम्मीदवार मतदाताओं की नब्ज पकड़ने में माहिर है।

पुष्पराजगढ़ विधानसभा

अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा से लगातार दो बार के विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। फुंदेलाल सिंह मार्को लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। आदिवासी विधायक के तौर पर इनकी छवि बनी हुई है। विधानसभा में भी मार्को आदिवासी पहनावे में पहुंचे थे जो काफी चर्चा का विषय बना था। कांग्रेस के इनके सामने बीजेपी ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे जनपद अध्यक्ष हीरा सिंह श्याम को अपना उम्मीदवार घोषित किया हैं। दोनों के बीच ही मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद हैं। फुंदेलाल सिंह मार्को कांग्रेस के पहले बसपा से भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। फुंदेलाल सिंह छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। पुष्पराजगढ़ विधानसभा से 2 बार के विधायक हैं। 2013 में उन्होंने पहली बार बीजेपी के सुदामा सिंह को 35 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। वहीं दूसरी बार बीजेपी के नरेंद्र मरावी को 22 हजार वोटों से हराया था।

कोतमा विधानसभा

लोकसभा की 8 विधानसभा में कोतमा एक मात्र सामान्य विधानसभा सीट हैं जहां कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा अभी तक नहीं की हैं। यहां से कांग्रेस के सुनील सराफ विधायक हैं। बीजेपी ने यहा से पिछड़ा वर्ग के दिलीप जायसवाल को एक बार फिर मैदान में उतारकर हारे हुए उम्मीदवार पर अपना विश्वास जताया है। 2013 की विधानसभा चुनाव में दिलीप जायसवाल वर्तमान को विधायक सुनील सराफ कांग्रेस से शिकस्त मिली थी। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जबकि इस बार फिर से कांग्रेस के विधायक सुनील सराफ की ही दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।

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