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अरुण तिवारी, BHOPAL. लोकतंत्र में कहा जाता है कि आम आदमी की सरकार, लेकिन पिछले एक दशक यानी तीन चुनावों का चुनावी ट्रेंड कुछ खास इशारा करता है। इस ट्रेंड को देखें तो सियासत में लगातार पैसे का दखल बढ़ रहा है। चुनाव जीतने के लिए सियासी दलों का रुझान भी धनपतियों की तरफ तेजी से हो रहा है। इसका असर भी चुनाव के नतीजों में साफ दिखाई देता है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की पिछले तीन चुनावों की चुनावी राजनीति तो इसी ओर संकेत कर रही है। जिसका साथ धनपति ने दिया उसको सत्ता का ताज मिल गया।
मध्यप्रदेश का सियासी मिजाज
सबसे पहले मध्यप्रदेश का पिछले तीन चुनावों का सियासी मिजाज समझते हैं। साल 2008 में बीजेपी के 49, कांग्रेस के 35, निर्दलीय 4 समेत कुल 86 करोड़पति उम्मीदवार विधायक बने। 2008 में बीजेपी की सरकार लगातार दूसरी बार बनी। साल 2013 में बीजेपी के 117, कांग्रेस के 41, निर्दलीय 4 समेत कुल 160 करोड़पति विधायक बने। इस साल फिर बीजेपी की सरकार बनी। साल 2018 में बीजेपी के 93, कांग्रेस के 91 और निर्दलीय 3 समेत कुल 187 उम्मीदवार विधायकी का चुनाव जीते। इस साल कांग्रेस की सरकार बनी। इस चुनाव में बीजेपी के 117 से 93 पर पहुंच गई, जबकि कांग्रेस का आंकड़ा 41 से 91 पर पहुंच गया। इस आधार पर कांग्रेस के ज्यादा करोड़पति विधायक माने जा रहे हैं। एक दशक में करोड़पति विधायकों में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हो गया।
राजस्थान के रण में चुनावी ट्रेंड
राजस्थान के रण में 2008, 2013 और 2018 में ज्यादा करोड़पति विधायकों वाली पार्टी का सरकार बनाने का ट्रेंड रहा। साल 2008 में कुल 90 करोड़पति विधायक बने। इनमें बीजेपी के 38 और कांग्रेस के 44 विधायक शामिल हैं। इस साल कांग्रेस की सरकार बनी। 2013 में कुल धनपति विधायक 144 थे। इनमें बीजेपी के 120 और कांग्रेस के 14 विधायक शामिल हैं। इस साल बीजेपी की सरकार बनी। 2018 में बीजेपी के 57 और कांग्रेस के 83 विधायकों समेत कुल 158 करोड़पति उम्मीदवार चुनकर विधानसभा पहुंचे। इस साल कांग्रेस की सरकार बनी। इस एक दशक में करोड़पति विधायकों की संख्या बढ़कर दोगुने से थोड़ी सी ही कम रही।
छत्तीसगढ़ का चुनावी गणित
छत्तीसगढ़ का भी यही चुनावी ट्रेंड रहा। 2008 में बीजेपी के 11, कांग्रेस के 17 यानी कुल 28 करोड़पति विधायक चुने गए। इस साल बीजेपी की सरकार बनी। इस साल कांग्रेस में करोड़पति विधायकों की संख्या बीजेपी से ज्यादा थी लेकिन बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई। लेकिन अगले दो चुनावों में छत्तीगसढ़ में धनबल के जोर का ट्रेंड ही नजर आया। 2013 में बीजेपी के 34, कांग्रेस के 30, बसपा के 1 और 1 निर्दलीय समेत कुल 66 करोड़पति उम्मीदवार विधायक बने। इस साल फिर बीजेपी की सरकार बनी। 2018 में बीजेपी के 15, कांग्रेस के 48, जेसीसी के 3 और बसपा के 1 समेत कुल 67 विधायक करोड़पति थे। इस साल कांग्रेस की सरकार बन गई। दस साल में यहां भी करोड़पति विधायकों का आंकड़ा दोगुने तक पहुंच गया।