कहते हैं किसी के भी दिल में उतरने का रास्ता पेट से होकर जाता है. मैदान सियासत का हो या खेल का. दोनों में डटे रहने की ताकत भी खाने से ही मिलती है. रणनीतियां तो उसके बाद रंग लाती है. और ये मूल मंत्र अब बीजेपी समझ चुकी है. जो मतदाता के दिल में उतरने के लिए पेट से ही रास्ता बनाएगी. पहले मतदाता की भूख को जीतेगी उसके बाद अपनी वोटों की भूख मिटाएगी. प्लानिंग तो कुछ ऐसी ही है. जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी से जूझ रही बीजेपी अब दाल, चावल, सब्जी पूड़ी और एक मीठे के दम पर वोटर्स के साथ रिश्तों में मिठास घोलने की प्लानिंग में जुट गई है.