चुनाव नजदीक आते आते बीजेपी के सारे पुराने जख्म हरे होते जा रहे हैं. उन जख्मों को राहत देने के लिए बीजेपी की चुनावी फॉर्मेसी में नए नए रसायन तैयार हो रहे हैं. इन रसायनों से तैयार हो रही है नई योजना नाम की चुनावी दवा. बस जख्म कौन दे रहा है उस वर्ग या तबके के अनुसार दवा के रसायन में कुछ फेरबदल होता है और उसे एक सभा के जरिए लॉन्च कर दिया जाता है. अब यही दवा लगा कर एक वर्ग विशेष से मिले जख्मों को भरने की तैयारी है. जिसके लिए बीजेपी जोर शोर से तैयारी कर रही है. पर पार्टी की मुश्किल ये है कि हार के जिन जख्मों को वो भरना चाहती है, उन्हें कुरेदने के लिए कुछ नए नेता प्रदेश में नया मोर्चा खोलने वाले हैं. अब हाल ये है कि अब तक सिर्फ कांग्रेस को टक्कर देने की तैयारी कर रही बीजेपी को कुछ नए चेहरों से भी मुकाबला करना है. और, ये इतना आसान नहीं है. इसलिए अब बीजेपी को बाबा साहब की याद आ रही है.
शिवराज-वीडी के भरोसे जीत पर संशय? अब बाबा साहेब की शरण में बीजेपी
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