Adhik Maas 2026: नए साल में बन रहा अधिक मास का दुर्लभ संयोग, जानें क्यों आता है अधिक मास?

वर्ष 2026 में ज्येष्ठ माह में अधिक मास पड़ रहा है। इस कारण विक्रम संवत 2083 में 13 महीने होंगे। यह समय आध्यात्मिक साधना और भगवान विष्णु की पूजा के लिए पवित्र है।

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Kaushiki
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Latest Religious News:अंग्रेजी कैलेंडर में साल की शुरुआत 1 जनवरी से मानी जाती है। हिंदू परंपरा में हम समय की गणना विक्रम संवत के मुताबिक करते हैं। हिंदू पंचांग में नया साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। आने वाला साल 2026 विक्रम संवत 2083 के रूप में कई मायनों में बहुत खास होगा।

इस वर्ष अधिक मास पड़ रहा है, जो इस बार ज्येष्ठ (जेठ) माह में आएगा। इसका सीधा अर्थ है कि साल 2026 में एक की जगह दो-दो ज्येष्ठ महीने रहेंगे। एक सामान्य ज्येष्ठ महीना होगा और दूसरा अधिक ज्येष्ठ कहलाएगा।

अधिक मास जुड़ने के कारण इस बार ज्येष्ठ का समय लगभग 58 से 59 दिनों तक रहेगा। इसी अतिरिक्त महीने को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक इस कारण विक्रम संवत 2083 में कुल 13 महीने होंगे जो एक दुर्लभ संयोग है।

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कब से कब तक रहेगा अधिक मास 2026

पंचांग के मुताबिक, सामान्य ज्येष्ठ माह की शुरुआत 22 मई से होगी। इस बीच अधिक मास 17 मई 2026 से शुरू हो जाएगा। यह पवित्र महीना 15 जून 2026 को समाप्त होगा। जब पंचांग में किसी एक महीने की अवधि दो बार आ जाती है, तो उस अतिरिक्त महीने को ही पुरुषोत्तम मास या अधिक मास कहते हैं।

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क्यों हर तीसरे साल आता है अधिक मास

हमारे हिंदू पंचांग (Adhik Maas 2026) में लगभग हर तीसरे वर्ष एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है। इसकी वजह ये है कि सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है। चंद्रमा का मासिक चक्र सूर्य की गणना से थोड़ा छोटा होता है। यह अंतर हर साल बढ़ता जाता है।

इसी बढ़ते हुए अंतर को ठीक करने और समय-चक्र को संतुलित करने के लिए हर 32 महीने, 16 दिन और कुछ घंटों के अंतराल पर यह पूरा महीना अतिरिक्त जोड़ दिया जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह अतिरिक्त समय अत्यंत पवित्र माना गया है। यह समय आध्यात्मिक साधना, जप-तप और दान के लिए उत्तम होता है।

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अधिक मास में क्या करें और क्या न करें

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, अधिक मास को भगवान विष्णु की उपासना का महीना माना गया है। इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। भगवान विष्णु की पूजा..

क्या करें:

  • भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करें।

  • दान-पुण्य करें, जैसे अन्न, वस्त्र और दीपक का दान बहुत शुभ माना जाता है।

  • मंत्र-जप, विशेषकर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।

  • नित्य श्रीमद्भागवत कथा या गीता का पाठ करें।

  • आत्मचिंतन और मन की शुद्धि पर ध्यान दें।

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क्या न करें:

  • विवाह, सगाई या गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।

  • बड़े पैसे का लेन-देन या प्रॉपर्टी खरीदना जैसे भौतिक विस्तार वाले कार्य वर्जित हैं।

  • धार्मिक कर्मों में लापरवाही या अनियमितता नहीं करनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। dharm news today 

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