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Latest Religious News: मोक्षदा एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस एकादशी का शास्त्रों में बहुत ही खास महत्व बताया गया है। इस बार मोक्षदा एकादशी का पवित्र व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
यह तिथि मनुष्यों को पापों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करने वाली मानी गई है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान दिया था। इसलिए इसे गीता जयंती भी कहते हैं।
इस पवित्र दिन व्रत रखने और दान करने से बैकुंठ धाम के द्वार खुल जाते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक, यह व्रत पितरों को नरक के कष्टों से मुक्ति दिलाकर स्वर्गलोक प्रदान करता है।
मोक्षदा एकादशी तिथि
द्रिक पंचांग के मुताबिक, एकादशी तिथि 30 नवंबर 2025 को शाम 4 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन 1 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगी।
इस पावन दिन पर रेवती नक्षत्र और व्यतिपात योग का बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष के मुताबिक, यह शुभ योग हमारे अच्छे कर्मों के फल को हजार गुना तक बढ़ा देता है।
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धार्मिक महत्व और बैकुंठ के द्वार
मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2025) का व्रत वैष्णव भक्तों के लिए साल के सबसे बड़े पर्व जैसा होता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि यह व्रत रखने, प्रभु भजन करने और दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसी दिन कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान दिया था। इसीलिए इस एकादशी को गीता जयंती भी कहा जाता है।
यह एकादशी पितृमोचन का भी उत्तम माध्यम मानी गई है। इस दिन पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और दान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले भक्त के लिए बैकुंठ धाम के सुनहरे द्वार खुल जाते हैं।
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मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा
प्राचीन समय में गोकुल नामक नगर में वैखानस नाम के एक बहुत ही धर्मात्मा राजा थे। उनकी प्रजा बहुत सुखी थी। पर एक रात राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पितर नरक में बहुत कष्ट झेल रहे हैं। राजा ने इस स्वप्न से घबराकर ब्राह्मणों से इसका उपाय पूछा।
तब एक महान ज्ञानी पर्वत मुनि ने बताया कि राजन, आपके पिता के पापों के कारण उन्हें नरक मिला है। यदि आप मोक्षदा एकादशी का व्रत विधि-विधान से करें, तो आपके पिता को मोक्ष मिल जाएगा।
राजा वैखानस ने मुनि के कहे अनुसार श्रद्धापूर्वक यह व्रत किया। व्रत के पुण्य प्रभाव से राजा के पिता नरक के कष्टों से मुक्त हो गए और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई। तभी से यह एकादशी पाप नष्ट करने और मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है।
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श्रीहरि के पूजन की विधि
मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए।
फिर साफ-सुथरे श्वेत वस्त्र धारण कर लें। भगवान विष्णु की पूजा करें।
इसके बाद भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा यानी पांच चीजों (गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य) से पूजा करनी चाहिए।
पूजा में तुलसी पत्र अवश्य अर्पित करें, क्योंकि तुलसी विष्णु जी को बहुत प्रिय है।
इस दिन फलाहार या निर्जला व्रत रखना चाहिए।
दिनभर विष्णु सहस्रनाम का पाठ, मंत्र-जप और भजन-कीर्तन करते रहें।
अगले दिन यानी द्वादशी को शुभ मुहूर्त में पारण करके अपना व्रत खोलें और भगवान श्रीहरि का आभार व्यक्त करें।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। एकादशी पर पूजा
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