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Latest Religious News: धर्म शास्त्रों के मुताबिक सोमवार, 24 नवंबर को मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी तिथि है। इसे विनायक चतुर्थी व्रत कहते हैं। यह तिथि इस बार खास है, क्योंकि चतुर्थी के स्वामी गणेश जी हैं और सोमवार के स्वामी भोलेनाथ शिव शंकर हैं।
इस दिन गणेश जी के साथ शिव जी का अभिषेक करने से दोगुना फल मिलता है। चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी हैं और सोमवार के स्वामी स्वयं भोलेनाथ शिव शंकर हैं।
इस दिन गणेश जी के साथ ही भगवान शिव की विशेष पूजा-अभिषेक करने से दोगुना फल मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पहले गणेश पूजा करें फिर शिवलिंग पर विराजित चंद्रदेव का अभिषेक करें। ये व्रत सुख-समृद्धि, ज्ञान और सफलता लाता है और चंद्र दोष से भी मुक्ति दिलाता है।
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चंद्र दोष निवारण के लिए विशेष पूजा
ज्योतिष की मानें तो इस सोमवार की चतुर्थी पर प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा करें। उसके बाद भगवान शिव का विधिवत अभिषेक जरूर करना चाहिए। ये महादेव को प्रसन्न करने का बहुत ही उत्तम समय है।
ज्योतिष की मानें तो जिन भक्तों की कुंडली में चंद्र ग्रह से संबंधित दोष होते हैं, उनके लिए यह दिन वरदान साबित हो सकता है। उन्हें विशेष रूप से शिवलिंग पर विराजित चंद्रदेव का अभिषेक करना चाहिए।
अभिषेक करते समय चंद्र मंत्र - "सों सोमाय नमः" का जप करना बहुत ही लाभकारी होता है। यह मानसिक शांति और दोषों के निवारण में सहायक है। इस दिन शिवलिंग पर विराजित चंद्रदेव का अभिषेक करना बहुत शुभ फल देता है। ये उपाय मन की शांति और मानसिक स्थिरता के लिए बहुत लाभकारी माना गया है।
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गणेश चतुर्थी व्रत की सरल पूजा विधि
विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पूजा इस प्रकार करनी चाहिए:
सुबह उठना और स्नान: सुबह जल्दी उठें और स्नान करके पवित्र हो जाएं।
सूर्य को जल: तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, फूल और चावल भरें।
मंत्र जाप: "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें।
गणेश स्थापना: घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
पंचामृत अभिषेक: भगवान गणेश को पहले जल और फिर पंचामृत चढ़ाएं।
पंचामृत को दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए।
श्रृंगार और भोग: भगवान को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल और जनेऊ आदि चीजें चढ़ाएं।
प्रसाद: प्रसाद में लड्डू और मोदक चढ़ा सकते हैं। आप चाहें तो दूध से बनी मिठाई भी अर्पित करें।
संकल्प और जाप: "श्री गणेशाय नमः" मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें।
पूरे दिन (भगवान गणेश का दिन) अन्न ग्रहण न करें और व्रत में फलाहार, पानी, दूध या फलों का रस ले सकते हैं।
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भगवान गणेश के 12 नाम मंत्र
पूजा में भगवान गणेश के 12 नाम मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ये मंत्र बहुत ही शक्तिशाली माने जाते हैं:
ऊँ सुमुखाय नमः
ऊँ एकदंताय नमः
ऊँ कपिलाय नमः
ऊँ गजकर्णाय नमः
ऊँ लंबोदराय नमः
ऊँ विकटाय नमः
ऊँ विघ्ननाशाय नमः
ऊँ विनायकाय नमः
ऊँ धूम्रकेतवे नमः
ऊँ गणाध्यक्षाय नमः
ऊँ भालचंद्राय नमः
ऊँ गजाननाय नमः
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शिव जी का अभिषेक और पूजा विधि
शिवलिंग की स्थापना:
स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थान में शिवलिंग को स्थापित करें।
अभिषेक:
सबसे पहले स्वच्छ जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी चढ़ाएं, जिसे पंचामृत कहते हैं। अंत में फिर से जल से अभिषेक करें।
सामग्री अर्पण:
भगवान शिव को बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत और फूल अर्पित करें।
मंत्र और भोग:
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करें और धूप-दीप जलाएं। भोग में कोई मिठाई अर्पित करें।
आरती और क्षमा याचना:
अंत में आरती करें। भगवान से अपनी जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। पूजा में चढ़ाई गई दक्षिणा किसी जरूरतमंद को दान कर दें।
इस तरह मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी (भगवान गणेश की कृपा) के दिन विनायक चतुर्थी व्रत करने से गणेश जी और शिव जी दोनों का आशीर्वाद एक साथ मिलता है। इससे जीवन में शुभता आती है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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