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G20 Summit: आज हम जिस G20 समिट की बात कर रहे हैं वह कोई साधारण मीटिंग नहीं है। बल्कि ये Group of Twenty यानी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक पावरफुल ग्रुप है। इस मंच को विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक मसलों, चुनौतियों और उनके ठोस समाधानों पर डिस्कशन के लिए बनाया गया है।
G20 की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाइए कि ये ग्रुप पूरी दुनिया की लगभग 85% GDP और दो-तिहाई आबादी का रिप्रजेंटेशन करता है। इसलिए, G20 में लिए गए हर फैसले का सीधा असर लगभग पूरी दुनिया पर पड़ता है।
भारत की ओर से यहां भारत के प्रधानमंत्री और शक्तिशाली देशों के लीडर्स बैठते हैं। ये मंच बढ़ती आर्थिक चुनौतियों, जियो-पोलिटिकल बदलावों और जलवायु संकट पर कलेक्टिव सॉल्यूशन खोजता है।
हाल ही G20 में दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार इसकी मेजबानी की जहां डेवलपिंग और डेवलप्ड कन्ट्रीज की समस्याओं पर चर्चा हुई। तो ऐसे में आइए आज हम जानेंगे G20 Summit के बारे में डिटेल से...
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G20 Summit क्या है
G20 जिसका पूरा नाम Group of Twenty है। वास्तव में ये दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक ग्रुप है। ये एक ऐसा मंच है जिसे विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक मसलों, चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा के लिए बनाया गया है।
इसकी शुरुआत 1999 में एशियाई आर्थिक संकट के बाद हुई थी। लेकिन 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान इसकी भूमिका बहुत बढ़ गई। ये फाइनेंस मिनिस्टर्स के ग्रुप से हेड्स ऑफ स्टेट के शिखर सम्मेलन में बदल गया।
इसमें 19 देश और अब अफ्रीकन यूनियन और यूरोपियन यूनियन जैसी दो रीजनल बॉडी शामिल हैं। G20, डेवलप्ड और डेवलपिंग दोनों तरह के देशों को साथ लाता है।
इससे ये ग्लोबल इकोनॉमी, क्लाइमेट चेंज, डिजिटल टेक्नोलॉजी और कर्ज संकट जैसे इम्पोर्टेन्ट इश्यूज पर सामूहिक समाधान खोजने का सबसे प्रभावी मंच बन जाता है। ये विश्व की रियल इकनोमिक तस्वीर को दिखाता है। ग्लोबल स्टेबिलिटी के लिए ये बहुत हा ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है।
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इसे G20 क्यों कहा जाता है
इस मंच की शुरुआत साल 1999 में एशियाई आर्थिक संकट के बाद हुई थी। शुरुआत में ये सिर्फ सदस्य देशों के फाइनेंस मिनिस्टर्स और सेंट्रल बैंक गवर्नरों का ही एक समूह हुआ करता था।
बदला हुआ स्वरूप:
साल 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान इसकी भूमिका अचानक से बहुत बढ़ गई। इसी समय पहली बार राष्ट्र प्रमुखों की बैठक हुई थी। तब से लेकर आज तक यह हर साल आयोजित होने वाला एक लीडर्स समिट बन गया है।
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G20 के सदस्य देश कौन-कौन हैं
G20 ग्रुप में कुल मिलाकर 19 देश और दो क्षेत्रीय बॉडी (Regional Bodies) शामिल हैं। यही कारण है कि इसे G20 (बीस का समूह) कहा जाता है।
इसके करंट मेंबर्स हैं: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडिया (India), इंडोनेशिया, इटली, जापान, साउथ कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, टर्की, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स।
2 रीजनल बॉडी:
- अफ्रीकन यूनियन (African Union)
- यूरोपियन यूनियन (European Union)
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G20 Summit में किन मुद्दों पर होती है चर्चा
शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले, सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि मिलते हैं जिन्हें शेरपा कहा जाता है। ये शेरपा ही एजेंडा तय करते हैं। वो पूरी कोशिश करते हैं कि सम्मेलन में इन प्रमुख मुद्दों पर कॉमन कंसेंट बन सके। G20 में आमतौर पर निम्नलिखित जरूरी मुद्दों पर बातचीत होती है:
ग्लोबल इकोनॉमी एंड डेवलपमेंट (Global Economy and Development):
यह समूह वैश्विक आर्थिक विकास और गरीबी को कम करने के उपायों पर विचार-विमर्श करता है।
वर्ल्ड ट्रेड एंड फाइनेंस (World Trade and Finance):
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना यहां का मुख्य विषय है।
डिजिटल टेक्नोलॉजी एंड AI (Digital Technology and AI):
डिजिटल क्रांति के लाभों को सभी तक पहुँचाना और नई प्रौद्योगिकी पर सहयोग बढ़ाना।
डेट क्राइसिस एंड फाइनेंशियल सपोर्ट फॉर डेवलपिंग नेशन (Debt Crisis and Financial Support):
विकासशील देशों को कर्ज संकट से बाहर निकालने और उन्हें वित्तीय मदद देने के तरीकों पर सहमति बनाना।
क्लाइमेट चेंज एंड एनर्जी ट्रांजिशन (Climate Change and Energy Transition):
जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास करना।
एंटी करप्शन मेजर्स (Anti-Corruption Measures):
भ्रष्टाचार विरोधी उपायों पर वैश्विक सहयोग को मजबूत करना।
एम्प्लॉयमेंट एंड स्किल डेवलपमेंट (Employment and Skill Development):
रोजगार के अवसर बढ़ाना और युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
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G20 में भारत की भागीदारी
भारत G20 का एक बहुत ही एक्टिव और इम्पोर्टेन्ट मेंबर्स है। भारत ने हमेशा एडवांस्ड और डेवलपिंग कन्ट्रीज के बीच पुल का काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी जी हमेशा वैश्विक चुनौतियों पर भारत की रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए उत्सुक रहते हैं।
भारत के लिए ये मंच ग्लोबल साउथ (developing countries) की आवाज को दुनिया के सामने रखने का एक बड़ा मौका होता है। हाल ही में, भारत ने सफलतापूर्वक G20 प्रेसीडेंसी भी की थी। यहां अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्य बनाया गया, जो भारत की लीडरशिप में एक ऐतिहासिक कदम था।
हाल ही में 2025, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। ये शिखर सम्मेलन इस बार बहुत ही खास रहा।
ये पहली बार था जब कोई अफ्रीकी देश G20 की मेजबानी कर रहा था। यहां दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेता इकट्ठा होते हैं। ताकि विकसित और विकासशील देशों के बीच की खाई को भरा जा सके।
उनका मेन ऑब्जेक्टिव क्लीन एनर्जी, क्लाइमेट चेंज , डेब्ट क्राइसिस और ग्लोबल इकनोमिक स्टेबिलिटी जैसे मुद्दों पर ठोस कलेक्टिव सॉल्यूशन खोजना होता है।
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पीएम मोदी का जोहान्सबर्ग दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दक्षिण अफ्रीका में बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वह वाटरक्लूफ एयर फोर्स बेस पर पहुंचे, जहां उन्हें दक्षिण अफ्रीकी एयर फोर्स द्वारा रेड-कार्पेट वेलकम दिया गया।
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि वह विश्व नेताओं के साथ ‘उपयोगी चर्चाओं’ के लिए पूरी तरह उत्सुक हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत वैश्विक चुनौतियों पर अपनी रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए हर समय तैयार है। भारत की भागीदारी G20 के फैसलों को एक विकासशील देश का मजबूत दृष्टिकोण प्रदान करती है।
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G20 Summit क्यों है इतना जरूरी
G20 (G20 summit India) की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह G7 जैसे सिर्फ अमीर देशों के समूह से अलग है। G20 में विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश शामिल होते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो ये समूह दुनिया की रियल इकनोमिक पिक्चर का सबसे सही रिप्रजेंटेशन करता है। साल 2009 में G20 ने 1 ट्रिलियन डॉलर के एक बहुत बड़े राहत पैकेज की घोषणा की थी।
इससे G20 meeting वैश्विक अर्थव्यवस्था को आर्थिक मंदी से उबारने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, इतने सारे अलग-अलग विचारों और हितों वाले देशों के बीच किसी भी मुद्दे पर सहमति बनाना हमेशा एक बड़ी चुनौती होती है। इसके बावजूद यह मंच वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए सबसे बड़ा और सबसे प्रभावी माना जाता है।
तो इस तरह, G20 Leaders Summit केवल एक मीटिंग नहीं है। बल्कि ये दुनिया की इकनोमिक सुपरपॉवर्स का वो ग्लोबल मंच है जो 85% GDP को एक साथ लाता है। यो डेवलप्ड और डेवलपिंग देशों को मिलाकर, ग्लोबल स्टेबिलिटी और कलेक्टिव सॉल्यूशन की दिशा में काम करता है।
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